History of Village : इतिहास की यादें संजोए हुए है नहला गांव

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History of village : Nehla Village Preserves Memories of History

गांव में सरपंच ने प्राचीन धरोहर व कुएं का अस्तित्व खत्म होने से बचाया, जीर्णोद्धार और सौंदर्यकरण के बाद पर्यटन स्थल के रूप में बदला

KPS Haryana News :

हरियाणा के फतेहाबाद जिले के भूना क्षेत्र का नहला गांव राजनीतिक व प्रशासनिक स्तर पर हरियाणा में अपनी अनूठी छाप छोड़ चुका है। यहां पर विधायक से लेकर मुख्य प्रधान सचिव पद तक नेता और युवा पहुंच चुके हैं। कई अन्य लोग बड़े-बड़े पदों पर सेवाएं दे रहे हैं और सेवानिवृत हो चुके हैं। नहला गांव की जनसंख्या करीब 18 हजार के लगभग है और 7870 के करीब मतदाता है। गांव में 20 जातियों के लोग भाईचारे के साथ रहते हैं और 40 हजार बीघा जमीन है।

 

बाबा तीर्थनाथ महाराज ने गांव बसने से पहले जो बुजुर्गों को बात कही थी कि जो परिवार पहले आकर बसेगा उसका वंशज कम बढेगा। जो बात आज भी सच साबित हो रही है। क्योंकि गांव में गिल व मेडल गोत्र के बुजुर्ग पहले आए थे, इसलिए उनके परिवार की जनसंख्या बहुत कम है और करीब 130 गिल व 225 मेडल के लगभग परिवारों की बढ़ोतरी हुई है। जबकि ढिल्लों गोत्र के परिवार की बढ़ोतरी करीब 700 से अधिक पहुंच गई हैं।

 

नहला गांव के चौधरी मेहर चंद बेनीवाल व मास्टर हरफूल सिंह मेडल राजनीति में सक्रिय थे और इनमें हरफूल सिंह लोकसभा का चुनाव हार गए थे। लेकिन चौधरी मेहर चंद बेनीवाल विधायक चुने गए थे। जबकि उनके बेटे प्रदीप चौधरी प्रशासनिक सेवा में गांव का नाम रोशन कर चुके हैं। प्रदीप चौधरी हरियाणा सरकार में मुख्य वित्त आयुक्त एवं प्रधान सचिव की जिम्मेवारी को संभाल चुके हैं। प्रदीप चौधरी वर्तमान में प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्ति हो चुके हैं।

 

एक नजर में नहला गांव

जनसंख्या :- 18000

साक्षरता:-71%

जिला मुख्यालय से दूरी:-39

किमी

कनेक्टिविटी :- भूना से 13

किलोमीटर व बरवाला से 24 तथा अग्रोहा से 18 किमी दूरी

 

मेजर ठंडी राम ने बड़ी संख्या में युवाओं को योग्यता के आधार पर नहला गांव में 1964 में भर्ती कैंप लगाकर सेना में चयनित किया था और उन्हें उत्कृष्ट सेवा के चलते वीर चक्रा मिलिट्री क्रॉस अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इनके अतिरिक्त ओमप्रकाश बेनीवाल व धर्मपाल बेनीवाल सिंचाई विभाग में चीफ रहे है। जबकि डॉक्टर साधुराम डायरेक्टर आफ जनरल एनिमल हसबेंडरी, बलवान सिंह आईएएस, महेंद्र सिंह गिल डब्लयूएम रोडवेज, जय सिंह ढिल्लों डीडीपीओ, जयबीर मेडल कार्यकारी अभियंता, तहसीलदार वीरेंद्र गिल, राजेंद्र सिंह कैंथ बीडीपीओ, एसएम ठकरल आर्मी एनिमल हसबेंडरी, कैप्टन बलबीर सिंह, कमांडेंट बलराज सिंह, राजेंद्र सिंह, जय सिंह गिल हैफड़ प्रबंधक, सज्जन सिंह ढिल्लों एसडीओ जन स्वास्थ्य विभाग, होशियार सिंह ढिल्लों मार्केट कमेटी के चेयरमैन, सतबीर शर्मा पूर्व गृहमंत्री संपत सिंह के निजी सचिव के पद पर सेवाएं दी हैं और कई दे रहे हैं।

 

साढ़े 500 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक धरोहर एवं बावली

नहला गांव के बुजुर्गों के मुताबिक करीब साढ़े पांच सौ वर्ष पहले इस क्षेत्र में घना जंगल होता था। लोग पीने के पानी के लिए तरसते थे और एक दिन झोटा पानी से भीगा हुआ ढूंढर खेड़ा में पशुओं के पास आया, जिसको देखकर बुजुर्ग उसी दिशा में पैदल चल पड़े। ढूंढर खेड़ा से मात्र 7 किलोमीटर दूर उन्हें एक बरसाती पानी का छोटा जोहड़ दिखाई दिया।

 

जोहड़ के किनारे पर एक झोपड़ी में एक संत डेरा लगाकर बैठा था। बुजुर्गों ने एक संत को अपनी समस्या बताई। संत ने बुजुर्गों को कहा कि आप यहां पर अपना डेरा लगा लो, यहां आबादी बसने के बाद कभी गांव ‘ना हिलेगा’ वहीं से गांव का नाम ना हिलेगा रखा गया था। मगर धीरे-धीरे गांव का नाम ‘ना हिलेगा’ से बदलकर नहला हो गया। बुजुर्गों ने उन दिनों में जोहड़ पर अलग-अलग कुआं पानी के लिए बनाए और कई बुजुर्गों ने यादगार रूपी धरोहर तैयार करवाई थी। परंतु पिछले कई वर्षों से उपरोक्त धरोहर एवं कुएं खंडहर पड़े थे और उनका नामो निशान मिट रहा था। लेकिन वर्तमान सरपंच कृष्ण कुमार ढिल्लों ने बुजुर्गों की प्राचीन धरोहर में समेटे इतिहास को बचा लिया।

गांव में ये सुविधा

नहला गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, बिजली घर, खेल स्टेडियम, जल घर एवं बूस्टिंग स्टेशन, अनाज खरीद केंद्र, कस्तूरबा गांधी स्कूल, तीन प्राइमरी तथा दो सीनियर सेकेंडरी विद्यालय, गुरु रविदास लाइब्रेरी, पशु चिकित्सालय जैसी मूलभूत सुविधाएं गांव में उपलब्ध है।

समाज में अनदेखी के चलते प्राचीन धरोहर एव पनघट कुओं का अस्तित्व खत्म होता जा रहा हैं। मगर नहला ग्राम पंचायत ने तीर्थनाथ कालीन डिग्गी वाला कुआं व कई प्राचीन धरोहर जिसके जीर्णोद्धार एवं सौंदर्गीकरण के द्वारा नया रूप दिया है। जो युवा पीढ़ी के लिए प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर बचाकर रखना हमारी विचारधारात्मक नीति है। ग्राम पंचायत ने सरकार की मदद से आजादी के समय से बदहाल गांव की चारों और फिरनी लगभग पौने 2 करोड़ की लागत से इंटरलॉकिंग पक्की करवाकर गांव की दशा को सुधारा है।

कृष्ण कुमार ढिल्लों

सरपंच, ग्राम पंचायत नहला।

 

लेख संगीता रांची।

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