Narnaund ke anpadh Kisan ke sath Aadti Ne ki dhokhadhadi
जींद : हरियाणा के जींद जिले में एक अनपढ़ किसान के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें आढ़ती ने किसान के नाम पर फर्जी बैंक खाता खोलकर उसका दुरुपयोग किया। यह मामला तब उजागर हुआ जब किसान सूरत सिंह ने अदालत की शरण ली और अदालत के आदेश पर पुलिस ने आरोपित आढ़ती शुभम बंसल के खिलाफ मामला दर्ज किया।
विश्वासघात का मामला:
कोथ कलां गांव के किसान सूरत सिंह वर्षों से अपनी फसल को उचाना मंडी के आढ़ती शुभम बंसल के माध्यम से बेचता आ रहा था। उनके बीच विश्वास का रिश्ता था, लेकिन यही विश्वास सूरत सिंह के लिए धोखाधड़ी का कारण बन गया।
कैसे हुआ धोखाधड़ी का खुलासा?
वर्ष 2020-21 में शुभम ने फसल के रजिस्ट्रेशन के बहाने सूरत सिंह के आधार कार्ड की कॉपी ली। इसके बाद उसे एचडीएफसी बैंक ले जाया गया, जहां उसकी फोटो ली गई और हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया। सूरत सिंह ने बताया कि वह अनपढ़ है और अंगूठा लगाता है। उसे संदेह हुआ और उसने अंगूठा लगाने से इनकार कर दिया।
चेक बाउंस से खुला राज
जून 2023 में सूरत सिंह के पास एक वकील का नोटिस आया, जिसमें बताया गया कि उसके नाम से जारी एक चेक बाउंस हो गया है। हैरानी की बात यह थी कि सूरत सिंह ने कभी चेकबुक का इस्तेमाल नहीं किया था। जब उसने बैंक में जाकर जांच की, तो पता चला कि शुभम ने उसके नाम से फर्जी खाता खोलकर चेकबुक जारी करवाई थी। शुभम ने इस खाते से दो चेकों का उपयोग भी किया था।
पुलिस से लेकर अदालत तक की लड़ाई
शुरुआत में, सूरत सिंह ने पुलिस में शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस की अनदेखी के बाद, सूरत सिंह ने नरवाना अदालत का रुख किया। अदालत ने पुलिस को मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल केस दर्ज करने के आदेश दिए। आदेश के बाद पुलिस ने शुभम बंसल के खिलाफ फर्जी कागजात तैयार करने, धोखाधड़ी करने और किसान के नाम पर खाता खोलने के आरोप में मामला दर्ज किया।
धोखाधड़ी की कानूनी धाराएं
पुलिस ने शुभम बंसल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जीवाड़ा), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग) के तहत मामला दर्ज किया है।
बैंकों की लापरवाही पर सवाल
इस मामले में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि बैंकों ने बिना समुचित जांच के खाता कैसे खोल दिया। यह बैंकों की लापरवाही को दर्शाता है, जिससे निर्दोष लोग धोखाधड़ी का शिकार बन जाते हैं।
किसानों की जागरूकता पर जोर
इस घटना ने किसानों में जागरूकता की कमी को उजागर किया है। अनपढ़ किसान सूरत सिंह को बैंकिंग प्रक्रियाओं और उनके अधिकारों की जानकारी नहीं थी, जिसका लाभ शुभम बंसल ने उठाया। किसानों को ऐसे मामलों से बचने के लिए जागरूक होना होगा और बैंकिंग संबंधी प्रक्रियाओं की जानकारी लेनी होगी।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की धोखाधड़ी के मामलों में अदालत की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। पुलिस की लापरवाही के बावजूद अदालत के आदेश से न्याय मिलना संभव हो पाता है। इस केस में अदालत ने सूरत सिंह की बात को गंभीरता से लिया और पुलिस को तुरंत मामला दर्ज करने का आदेश दिया।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस को ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। अगर पुलिस समय रहते कार्रवाई करती, तो मामला अदालत तक नहीं पहुंचता। पुलिस को अब अपनी जांच में तेजी लानी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषी को कड़ी सजा मिले।
आढ़तियों पर सख्त निगरानी की आवश्यकता
यह मामला दिखाता है कि आढ़तियों द्वारा किसानों का शोषण कैसे किया जा सकता है। आढ़तियों के कार्यों पर सख्त निगरानी की आवश्यकता है, ताकि किसानों का शोषण न हो सके। सरकार को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए और किसानों के लिए सुरक्षा के प्रावधान सुनिश्चित करने चाहिए।
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