जींद में बिना दुल्हन के लौटी बारात: ढ़ोल नगाड़ो से दुल्हन लाने गई बारात मायूस होकर लौटी

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The wedding procession returned without the bride in Jind

बाल विवाह पर रोक की मिसाल

Jind News : हरियाणा के जींद जिले में एक अनोखी घटना ने सभी का ध्यान खींचा। बाल विवाह जैसी खतरनाक प्रथा पर फिर से सवाल उठे। इस बारात में दुल्हन की उम्र को लेकर विवाद हुआ और नतीजतन बारात बिना विवाह के लौट गई। बारात सुंदरपुर गांव से ढोल नगाड़ों के साथ मांडी कलां गांव में पहुंची थी। लेकिन बाल विवाह निषेध टीम की मुस्तैदी के चलते बिना दुल्हन के ही बेरिंग लौटने पर मजबूर हो गई। यह घटना समाज में जागरूकता फैलाने और बाल विवाह निषेध कानूनों की गंभीरता को दर्शाने का एक उदाहरण बनी।

घटना का विवरण

जींद में एक बारात धूमधाम से निकली, लेकिन शादी के पहले ही रुक गई। अधिकारियों को जानकारी मिली कि दूल्हा 28 साल का है और दुल्हन केवल 16 साल की नाबालिग है। बाल विवाह निषेध अधिकारियों ने एक्शन लिया और शादी रुकवा दी। पुलिस और जिला प्रशासन की मुस्तैदी के चलते दूल्हे और उसके परिवार वालों को बैरंग लौटना पड़ा।

दुल्हन की उम्र और दूल्हे से अंतर

इस घटना का मुख्य कारण था दुल्हन की कम उम्र और दूल्हे का उससे 12 साल बड़ा होना। 16 साल की लड़की, जो अभी अपने शिक्षण और अन्य विकासात्मक वर्षों में है, उसे इतनी बड़ी जिम्मेदारी के लिए तैयार करना न केवल कानूनी रूप से गलत है, बल्कि अनैतिक भी है। 28 साल के दूल्हे के साथ शादी करना, लड़की के भविष्य को खतरे में डाल सकता था।

बाल विवाह निषेध अधिकारियों की भूमिका

बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत, अधिकारियों ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की। गांव में पहुंचते ही उन्होंने दुल्हन के दस्तावेजों की जांच की। उम्र प्रमाण पत्र से पता चला कि लड़की नाबालिग है। जैसे ही सच्चाई सामने आई, अधिकारियों ने शादी को रोकने के निर्देश दिए। यह दिखाता है कि सही समय पर हस्तक्षेप न केवल कानून का पालन करता है, बल्कि भविष्य में समाज को नुकसान से बचाता है।

समाज में बाल विवाह का प्रभाव

बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई नहीं है, बल्कि इससे समाज पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। यह व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर नुकसान पहुंचाता है।

बाल विवाह के दुष्प्रभाव

  1. स्वास्थ्य पर असर: कम उम्र में शादी से लड़कियों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
  2. शिक्षा से वंचित: शादी के बाद लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं, जिससे उनके करियर के अवसर खत्म हो जाते हैं।
  3. आर्थिक निर्भरता: शिक्षा न होने के कारण आर्थिक रूप से वे दूसरों पर निर्भर रहती हैं।
  4. घरेलू हिंसा का शिकार: कम उम्र की लड़कियां अक्सर किसी भी प्रकार के शोषण के खिलाफ आवाज उठाने में असमर्थ होती हैं।

समाधान और जागरूकता

समाज बदलने के लिए बाल विवाह को रोकने के प्रयासों को और व्यापक बनाने की जरूरत है। इसके लिए सामाजिक, कानूनी और व्यक्तिगत स्तर पर कदम उठाने होंगे।

screenshot_2024_1225_1641063313904710386225608 जींद में बिना दुल्हन के लौटी बारात: ढ़ोल नगाड़ो से दुल्हन लाने गई बारात मायूस होकर लौटी
बाल विवाह की सूचना पर मौके पर पहुंची टीम कार्रवाई करते हुए।

सरकारी और गैर-सरकारी पहल

  1. सरकारी कार्रवाई: केंद्र और राज्य सरकारें बाल विवाह पर रोकथाम के लिए कई योजनाएं और कानून लागू कर रही हैं।
  2. एनजीओ प्रयास: विभिन्न संगठन ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर शिक्षा और जागरूकता फैलाते हैं, जहां यह प्रथा अभी भी प्रचलित है।
  3. स्कूल में जागरूकता अभियान: बच्चों को उनकी शिक्षा के महत्व और सही उम्र में शादी के फायदों के बारे में बताया जाता है।

बाल विवाह निषेध टीम को सूचना मिली

जींद बाल विवाह निषेध टीम को सूचना मिली थी की मंडी कला गांव में एक नाबालिग लड़की की शादी की जा रही है। जब टीम मौके पर पहुंची तो शुरुआत में तो लड़की के परिजनों ने शादी जैसी कोई बात होने से मना कर दिया लेकिन टीम ने जब गांव के मौजिज लोगों को वहां पर इकट्ठा कर पूछताछ की तो उन्होंने शादी की बात कबूल ली। जब लड़की की उम्र से संबंधित कागजात मांगे तो उन में लड़की की उम्र मात्र 16 साल पाई गई। और जब दूल्हे की उम्र चेक की तो उसकी उम्र 28 साल मिली। बारात सुंदरपुर गांव से मंडी कला धूमधाम से पहुंची थी लेकिन जिस तरह से धूमधाम से गई थी उसी तरह मायूस होकर दूल्हे के परिजन और रिश्तेदार लौटने पर मजबूर हो गए।

बाल विवाह नशे टीम को सूचना मिली तो रवि लोहान, महिला सिपाही आरती, मोनिका, सिपाही हरबीर और सुरेंद्र की टीम गांव में पहुंची। जब रवि लोहान ने परिजनों को समझाया तो परिजनों के समझ में आ गया और उन्होंने शादी करने से मना कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि लड़की के माता-पिता अनपढ़ हैं और उन्हें बाल विवाह जैसे किसी कानून की कोई जानकारी नहीं है और बिना जागरूकता के यह ऐसा कदम उठा रहे थे। यह सब बातें सुनने के बाद रवि लोहार ने बताया कि लड़की की उम्र बालिक होने में अभी समय बाकी है और उसकी उम्र पूरी होने के बाद ही उसका विवाह किया जाए तो कोई कानूनी अड़चन सामने नहीं आएगी

जींद की यह घटना न केवल कानूनी कार्रवाई का उदाहरण है, बल्कि समाज के लिए एक सबक भी है। बाल विवाह को रोकना न केवल कानून का पालन करना है, बल्कि एक लड़की का भविष्य सुरक्षित करना भी है। यह घटना दिखाती है कि सही समय पर जागरूकता और हस्तक्षेप समाज को बदल सकता है। हर किसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों का बचपन उनके अधिकारों और खुशी के साथ बीते। बाल विवाह को रोकने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।

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