Stri ka vajud Hindi story
शर्मीली किचन का काम निपटाकर ड्राइंग रूम में आई । दोपहर के 3:00 बज रहे थे। सोचा पहले पसंदीदा टीवी चैनल पर एक कॉमेडी शो देखूंगी। इसके बाद आराम करने का इरादा था।
उसने टीवी ऑन किया। अपना चैनल लगाया।
अपने पसंदीदा सीरियल का इंतजार करने लगी। इतने में ही ऑफिस से नवीन का फोन आया।
नवीन- हेलो क्या कर रही हो?
शर्मीली- बस बैठी हूं., काम से अभी फारिग हुई हुं।
नवीन-
ठीक है सुनो, जमालपुर वाली छोटी बुआ के बड़े बेटे का एक्सीडेंट हो गया है ।अस्पताल में भर्ती है। उसे देखने चलना है। मैं ऑफिस से जल्दी आता हूं। आप तैयार रहना ।
शर्मीली- जी ,ठीक है।
शर्मीली ने टीवी बंद किया और कुछ देर आराम करने बिस्तर पर चली गई। सोचने लगी की 5:30 बजे तैयार होकर जाना है। चलो एक घंटे नींद ले लेती हूं । कुछ आराम मिल जाएगा। बिस्तर पर जाते ही वह अतीत में विचरण करने लगी । आने वाले मार्च को जीवन के 40 वर्ष पूरे हो जाएंगे। नवीन के साथ 16 वर्ष । कल की सी बात है । नवीन के साथ मेरी शादी हुई । समय का पता नहीं चला। जब मैंने कस्बे के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 11वीं में दाखिला लिया तो बीच सेशन में नवीन ने स्कूल में दाखिला लिया । नवीन के पापा रेलवे में स्टेशन मास्टर थे। वे झांसी से स्थानांतरण होकर हमारे कस्बे अशोक नगर आए थे। कक्षा 11और 12 तक हमारे मध्य कोई वार्तालाप नही था न कोई दोस्ती। पर नवीन का मेरे प्रति आकर्षण दिखाई देने लगा । वह मेरे आस-पास बने रहने की कोशिश करता। मुझे भी उसकी उपस्थिति का आभास होने लगा।
इतने में ही गाड़ी का हॉर्न बजा। विचारों की श्रृंखला टूट गई। देखा तो नवीन गेट पर गाड़ी लेकर खड़े थे।
शर्मीली अरे, मैं तो अभी तैयार भी नहीं हुई। नवीन- आप समय पर कोई काम नहीं करती। अस्पताल के लिए लेट हो जाएगा। शर्मीली-जी, बस अभी 5 मिनट में तैयार होती हू। शर्मीली अपने कमरे में जाती है। हड़बड़ाहट में तैयार होकर बाहर आ गई । जल्दबाजी में वह अपनी साड़ी में पिन लगाना भूल गई। लिपस्टिक भी ठीक से नहीं लगा पाई। उसने मुंह फेस वॉश से धोया और बाल संभाले चोटी बनाई। 5 मिनट तो साड़ी की पटलियों को सेट करने में लग गई। शर्मीली , नवीन से “चलो बाबू मैं तैयार हूं।” दोनों चलकर गाड़ी में बैठते हैं । घर से 7 किलोमीटर दूर सरकारी जिला हॉस्पिटल था। जिसमें उनका रिश्तेदार भर्ती था। नवीन ने गाड़ी पार्क की। और जल्दी से दोनों इमरजेंसी वार्ड की ओर बढे। नवीन ने शर्मीली की ओर देखा, और उसके साड़ी बांधने के ढंग को देखकर भड़क गया। नवीन-तुम्हें तमीज है कि नहीं। शर्मीली-क्या हुआ जी? नवीन-खुद ही देखो, साड़ी कैसे बांध रखी है? शर्मीली- कैसे? नवीन अरे थोड़ी बहुत शर्म बची है कि नहीं?
नाभि के नीचे के सारे स्ट्रेच मार्क्स दिख रहे हैं।
साड़ी को नाभि से ऊपर करो।
शर्मीली साड़ी को नाभि से ऊपर करती है और,
नवीन के साथ आगे बढ़ी। अन्य रिश्तेदार भी समाचार लेने आए हुए थे। शर्मीली का हौसला टूट गया । औपचारिक शिष्टाचार निभाकर एक कोने में जाकर खड़ी हो गई।
घर पर प्रिंस और स्वीटी मम्मी पापा का इंतजार कर रहे थे। उनके भोजन का समय हो गया था। मम्मी पापा अस्पताल से नहीं लौटे । थोड़ी देर बाद शर्मीली नवीन के साथ घर पर वापिस आती है और चुपचाप किचन में खाना बनाने लगती है। । दोनों बच्चों के साथ नवीन को भी खाना लगा देती है ।।
नवीन-तुमने खाना नहीं खाया क्या?
शर्मीली-मुझे भूख नहीं है,
सिर में दर्द हो रहा है।
नवीन _ तो ,सिर दर्द की गोली ले लो।
शर्मीली- हां ले ली है.
शर्मीली किचन में जाती है, किचन साफ करके बच्चों के साथ बेडरूम में आ जाती है। बच्चों को सुलाने के बाद शर्मीली मुंह ढांप कर सो गई।
नवीन कमरे में आता है।
नवीन-
“अरे , मैंने ऐसा क्या कह दिया ?
कि आपने खाना तक नहीं खाया। भद्दी लग रही थी तुम, इसलिए बोल दिया । । कुछ तो अपने शरीर पर ध्यान दिया करो।
शर्मीली चादर में मुंह छुपाए लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी।
मन में विचारों के भंवर उठने लगे। कि जिस चेहरे के सौंदर्य की प्रशंसा करते नवीन थकता नही था। जिस शरीर की तुलना, कचनार की फूलों से लदी डालियों से करता।
पुरुष जिस स्त्री को सौंदर्य की देवी,
रति की प्रतिमूर्ति और आनंद के आयाम कहते नहीं थकता। वही स्त्री जब मां बन गई,
उसके वंश के बोए हुए बीजों को पौधों में विकसित कर दिया तो उस स्त्री को आज पुरुष ठूंठ कह रहा है।
आखिर स्त्री ने अपना सौंदर्य किसके लिए खोया? विवाह के 2 वर्ष बाद भी बच्चा नही होने पर अस्पतालों मे डॉक्टरों को दिखाया। झाड फूंक कराई।
देवी देवताओं से मनौती मांगी।
तब जाकर बेटी हुई । जो भी सिजेरियन।
बुआजी, सासू मां का मुंह फूल गया। लड़की हुई है। अगले साल मिसकैरेज हो गया। सासू मां भाग्य को कोसने लगी। अगले वर्ष फिर से गर्भवती हुई। सिजेरियन से बेटा पैदा हुआ । मैं टूट चुकी थी। लेकिन घर में खुशी का माहौल था। सासू मां और ससुर जी की खुशी देखते नहीं बनती क्योंकि उन्हें उनके वंश का कुलदीपक जो मिल गया था। नवीन भी खुशी से फूले नहीं समा रहे था।
….. वही नवीन आज कह रहा है कि तुम भद्दी लग रही हो। आखिर किसके लिए खोया था मैंने रूप सौंदर्य। दिन निकल आया। पर शर्मीली की आंखों में नींद नहीं थी। वह अपनी खोई हुई स्त्री को खोजने लगी। जो उस पुरुष से बहुत दूर चली गई थी।
स्त्री ने जिस पुरुष को अपना सर्वस्व मानकर अपना वजूद मिटा दिया था।
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