MNREGA Me Golmaal: Foreigners from Germany, Italy, France, Malaysia and Portugal come to Haryana to work as labourers
MNREGA में दिहाड़ी करने विदेश से आए मजदूर
Haryana News Today : हरियाणा में एक गांव ऐसा भी है जहां पर मनरेगा की मजदूरी करने के लिए गांव के ही नहीं बल्कि जर्मनी, फ्रांस, इटली पुर्तगाल और मलेशिया गए लोग मनरेगा कार्य करने के लिए पहुंचते हैं। यह आंकड़ा एक दो लोगों का नहीं बल्कि करीब दो दर्जन लोगों की हाजिरी मनरेगा में लगी हुई है। यह मामला सामने आने के बाद गांव और खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। हरियाणा का यह गांव कैथल जिले का ककराला इनायत के व्यक्ति ने शिकायत कर MNREGA Me Golmaal को उजागर किया है कि मनरेगा में मजदूरी करने के लिए गांव से नहीं बल्कि विदेशों से मजदूर मंगाए जाते हैं। जिस मनरेगा कार्य में लाखों रुपए की धांधली हुई है।
जिला परिषद के अधिकारियों को दी शिकायत में ककराला इनायत गांव के अमित सिंह ने बताया कि उनके गांव में मनरेगा कार्य करने के लिए जिन लोगों के जॉब कार्ड बने हुए हैं उनमें एक दो नहीं बल्कि 20-22 उन लोगों के नाम फर्जी तरीके से दर्ज किए गए हैं जो जर्मनी, इटली, मलेशिया, पुर्तगाल, फ्रांस सहित अन्य देशों में गए हुए हैं और उनकी मनरेगा कार्य के दौरान हाजिरी भी लगाई जाती है और उनके नाम से दिहाड़ी का पैसा भी लेने के लिए बकायदा गांव में आते हैं और साइन कर दिहाड़ी का पैसा लेकर फिर से विदेश चले जाते हैं। पीड़ित अमरीक सिंह ने बताया कि पहले भी अधिकारियों से की थी लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और उड़ेले से MNREGA Me Golmaal कर सरकार को लाखों रुपए का चुनाव लगाया जा रहा है। ऐसे में इस मनरेगा घोटाले के पीछे किसका हाथ है और क्या असल में विदेश गए गांव के युवा मनरेगा कार्य के दौरान गांव में बिहारी करने के लिए विदेश से आते हैं। सवाल उठता है कि मनरेगा कार्य में धांधली के आए दिन नए-नए मामले उजागर होते रहते हैं लेकिन आज तक एक भी मामले में सही तरीके से निष्पक्ष जांच नहीं होने की वजह से सरकार और जनता के पैसे को चूना लगाने वाले अधिकारियों और मनरेगा मेट, शाहिद भ्रष्ट लोगों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।
गांव में मजदूरों की संख्या 40, बना दिए 328 जाब कार्ड
शिकायतकर्ता अमरीक सिंह ने बताया कि उनके गांव में जो असल में काम कर रहे हैं, उनकी संख्या 40 के करीब है, जबकि गांव में 328 व्यक्तियों के जाब कार्ड बने हैं। यह काम 2022 से चला रहा है, जो लोग देश है भी नहीं उन लोगों के बैंक खाते में पैसे आ रहे हैं, जो संबंधित मेट है वो उनको एक हजार रुपये देता है। बाकी खुद व अधिकारी द्वारा गबन किया जा रहा है। शिकायतकर्ता ने बताया कि इसकी शिकायत इस साल जुलाई महीने में उपायुक्त व सीएम विंडो पर की थी, लेकिन इतना समय भी जाने के बाद भी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उनकी मांग ही है कि जिन्होंने इस घोटाले की अंजाम दिया है उनसे रिकवरी करवाई जाए।
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