Kisan Aandolan: Farmers are once again on the path of movement: Farmers from across the state will gather in Narnaund grain market on 3rd February
किसान रैली आज नारनौंद में, हरियाणा, पंजाब, यूपी के बड़े किसान नेता नारनौंद की धरती से फुकेंगे आंदोलन का बिगुल
राजपुरा गांव में किसानों को दिल्ली कूच व किसान रैली का न्यौता देते हुए किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़। |
हरियाणा न्यूज नारनौंद : संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के नेतृत्व में देश भर के डेढ़ सौ से ज्यादा किसान संगठनों के आह्वान पर 13 फरवरी के दिल्ली कूच के आह्वान के बाद देशभर में किसान महापंचायतों, रैलियों और ट्रैक्टर मार्च का आयोजन जारी है। इसी श्रृंखला में हरियाणा की राज्यस्तरीय किसान महापंचायत कल 3 फरवरी को हिसार जिले के नारनौंद की अनाज मंडी में आयोजित की जा रही है। इस महापंचायत में 13 फरवरी के दिल्ली कूच के आगामी आंदोलन की रूपरेखा, रणनीति व मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करके आंदोलन की घोषणा की जाएगी। नारनौंद की 3 फरवरी की किसान महारैली में देशभर के अधिकांश राज्यों के बड़े किसान नेता मौजूद रहेंगे। 2020-2021 के पिछले किसान आंदोलन की लंबित मांगों को सरकार के आश्वासन के बावजूद पूरा न किए जाने पर किसान संगठन लामबंद हो रहे हैं। किसानों की लंबित मांगों में C2 प्लस 50 प्रतिशत फार्मूले के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फ़सलों की खरीद की गारंटी का कानून बनाने, देश के तमाम किसान मजदूरों का कर्ज माफ किये जाने, लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों को न्याय दिए जाने की मांग और WTO की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर भारत को WTO से बाहर निकालने की मांग विशेष रूप से चर्चा का केंद्र बिंदु बनी हुई है।
खेती करना लगातार घाटे का सौदा साबित हो रहा है और सरकार किसानों की कोई सुध नहीं ले रही। अब किसानों के सामने वह मौका आ गया है जब लोहा गरम हो तो चोट मार देनी चाहिए। क्योंकि किसानों ने जो लड़ाई 13 महीने तक दिल्ली की सड़कों पर बैठ कर लड़ी थी और आज तक पूरी नहीं हुई। अब राजनीतिक पार्टियां चुनावी मुड में आ चुकीं हैं और यही मौका है उन्हें अपनी जायज मांगें मनवाने का। उक्त शब्द किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने नारनौंद हल्के के गांव राजपुरा में किसानों से रुबरु होते हुए कहे।
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि जब दिल्ली के सड़कों पर किसान आंदोलन कर रहे थे तो सरकार को झुकने के लिए मजबूर कर दिया था। लेकिन सरकार के साथ जो समझौता हुआ था उनमें से अधिकतर मांगों को आज तक पूरा नहीं किया गया है। इसलिए अब फिर से एक बार आंदोलन करने की जरूरत आन पड़ी है। लेकिन इस बार आंदोलन महीने दो महीने साल भर नहीं बल्कि कुछ दिनों का ही होगा। क्योंकि देश में लोकसभा चुनाव का बिल्कुल बजाने वाला है और इसी साल हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी मोड में आ चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि अब लोहा गरम है और जरूरत है तो उसे पर हल्की सी चोट मारने की। क्योंकि फरवरी के अंतिम सप्ताह या मार्च के पहले सप्ताह में पूरे देश में आचार संहिता लग जाएगी और उससे पहले अगर किसान एकजुट होकर आंदोलन का बिगुल बजाते हैं तो सत्ता में बैठे नेता किसानों की मांग मानने को मजबूर होंगे। इसलिए अब आंदोलन ज्यादा दिन तक नहीं करना पड़ेगा। इसलिए एक बार फिर से आप आंदोलन करने के लिए तैयार रहे। क्योंकि लोग बेटा-बेटी से ज्यादा पोते पोतियों व दहौता दहौतियों से ज्यादा प्यार करते हैं। इसलिए ये उनके हकों की लड़ाई है और हमें उनकी नस्ल को बचाने के लिए लड़ना होगा।
उन्होंने कहा कि 13 फरवरी को दिल्ली कूच से पहले पंजाब के किसानों ने किसान रैलियां आयोजित कर सरकार की एक बार फिर नींद हराम करने का काम किया है और अब हरियाणा भर के किसान 3 फरवरी को नारनौंद की अनाज मंडी में एकजुट होकर रैली नहीं बल्कि किसान रेला करेंगे। यह एरिया आप लोगों का एरिया है इसलिए आप इस किसान पर रैली में ज्यादा से ज्यादा भागेदारी दर्ज करें। हिसार जिले के 72 गांव के किसानों का आज भी करोड़ों रुपए मुआवजा रुका हुआ है और सरकार इस और कोई ध्यान नहीं दे रही जिसकी वजह से किसान हिसार लघु सचिवालय पर लगातार कड़ाके की ठंड में भी धरना देने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसानों की मांगे अभी पूरी नहीं हुई तो सभी किसान एकजुट होकर किसानों का शोषण करने वाली पार्टियों को सबक सिखाने का काम करेंगे।
किसान नेताओं ने सिसाय, महजत, मसूदपुर, डाटा, लोहारी, हैबतपुर, नारनौंद, राजपुरा, पाली, माढ़ा, भैणी अमीरपुर, राजथल इत्यादि गांवों के किसानों से संपर्क करके 13 फ़रवरी के दिल्ली कूच की घोषणा व तैयारियों के लिए देश भर के बड़े किसान नेताओं की मौजूदगी में 3 फरवरी को नारनौंद अनाज मंडी में आयोजित होने वाली किसान महापंचायत में पहुंचने का न्यौता दिया।
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ये हैं किसानों की मुख्य मांगें
13 फ़रवरी के दिल्ली कूच की मुख्य माँगें-
1. MSP पर फ़सल खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए।
2. किसान आंदोलन के दौरान पूरे भारत में किसानों पर लगाए गए तमाम मुक़द्दमे ख़ारिज किए जाएं।
3. लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों को न्याय मिले
4. बिजली संशोधन बिल 2020 को रद्द किया जाए।
5. स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को C2 + 50% फार्मूले के अनुसार लागू किया जाए।
6. देश के समस्त किसान और मजदूरों का कर्ज माफ किया जाए।
7. भारत WTO से बाहर निकले
8. दूसरे देशों से आयात होकर भारत में आने वाली फसलों पर इम्पोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) कम न की जाए ताकि भारतीय किसानों का नुक्सान न हो।
9. भारत में आयात होने वाले अनाज पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जाए ताकि भारतीय किसानों की फ़सल उचित मूल्य पर बिक सके।
10. 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के किसान हितैषी प्रावधानों को फ़िर से लागू किया जाए।
इस अवसर पर किसान नेता बलवान लोहान, हर्षदीप गिल, सरपंच सुनील राजपुरा, सोहनलाल, महेंद्र नंबरदार, जोगिंद्र, निहाल सिंह, सत्ती, जसबीर, कृष्ण, अमित , सुमित, ईश्वर पंडित, मंजीत, मनीष, अनिल उर्फ नीटू, नवीन, प्रमोद, दीपक, रणबीर पंच, कुकी, लीलू, कुकी, मंदीप, राजेश इत्यादि मौजूद थे।
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