परिवहन मंत्री समस्याओं का समाधान करने की बजाय कर्मचारियों को प्रताड़ित करने पर तुले, यूनियन ने जताया रोष

0 minutes, 9 seconds Read

Instead of solving the problems, the Transport Minister is bent on harassing the employees, the union expressed anger

समस्याओं का समाधान करने की बजाय रोडवेज कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रहे हैं परिवहन मंत्री : यूनियन


Hisar Haryana News Today :  ऑल हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन की प्रदेश कार्यकारिणी की एक अहम बैठक यूनियन के राज्य प्रधान मायाराम उनियाल की अध्यक्षता में हुई। बैठक का संचालन राज्य महासचिव बलदेव सिंह मामू माजरा ने किया। बैठक में राज्य कोषाध्यक्ष रघुवीर पंजाबी, राज्य उप महासचिव जोगिंदर ढुल, उप प्रधान अनूप सातरोड, प्रदेश मुख्य संगठन सचिव अरुण शर्मा, ऑडिटर रामपाल सिकरवार व प्रदेश प्रेस प्रवक्ता रंजीत करोड़ा भी मौजूद रहे। बैठक में कर्मचारी नेताओं ने परिवहन मंत्री अनिल विज पर रोडवेज कर्मचारियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया और इसको लेकर रोष प्रकट किया।


बैठक को संबोधित करते हुए राज्य प्रधान मायाराम उनियाल व राज्य महासचिव बलदेव सिंह मामू माजरा सहित अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि परिवहन मंत्री अनिल विज गत शुक्रवार करीब 6 बजे सिरसा से आ रहे थे। रास्ते में उन्होंने कैथल बस स्टैंड का औचक निरीक्षण किया। औचक निरीक्षण के बाद परिवहन मंत्री ने कहा कि निरीक्षण के दौरान स्टेशन सुपरवाइजर मौके पर नहीं पाया गया तथा एक बस चालक सवारियों से बस को धक्का लगवाते हुए मिला। इसके अलावा बस स्टैंड पर सफाई नहीं होने की बात परिवहन मंत्री ने कही।


राज्य प्रधान मायाराम उनियाल ने कहा कि कैथल बस स्टैंड करीब 16 एकड़ की परिधि में बना हुआ है, जिसकी साफ सफाई कर्मचारी कार्य करते हैं जिनमें से एक या दो छुट्टियों पर भी रहते हैं। आधे सफाई कर्मचारी प्रात: 5:00 बजे आते हैं और आधे 11:00 से 7:30 तक अपनी ड्यूटी करते हैं। उन्होंने बताया कि 25000 से 30000 यात्री रोजाना कैथल बस स्टैंड पर आते जाते हैं, क्योंकि 7000 के लगभग तो छात्रों के पास बने हुए हैं जो हर रोज बसों में यात्रा करते हैं। उन्होंने बताया कि बस स्टैंड परिसर में काफी संख्या में डस्टबिन भी रखे हुए हैं, बस स्टैंड आने वाले अधिकतर लोग डस्टबिन की इधर-उधर कचरा फेंक देते हैं। ऐसे में पूर्ण रूप से सफाई संभव नहीं है।


राज्य प्रधान ने बताया कि कैथल डिपो में स्टेशन सुपरवाइजर की एक ही पोस्ट है जिस पर सुनील कुमार प्रात: 9 से 5 बजे तक ड्यूटी करते हैं। उसके बाद अन्य कर्मचारी स्टैंड ड्यूटी का कार्यभार संभालते हैं। ऐसे में परिवहन मंत्री द्वारा स्टेशन सुपरवाइजर को बर्खास्त करना बड़े अचंभे की बात है। वहीं बस चालक को सवारियों से बस को धक्का लगवाने पर बर्खास्त करना भी सरासर गलत है क्योंकि उस चालक ने जब गाड़ी में सेल्फ मारा तो अचानक गाड़ी के सेल्फ ने काम करना छोड़ दिया।

उन्होंने बताया कि उक्त बस 11-12 साल पुरानी है और भिवानी डिपो में ऐसे ही खड़ी थी, जो कभी कभार चलती थी। यह बस को वहां से बदलकर आई है। उन्होंने बताया कि इस बस के बाद प्राइवेट बस का टाइम था। बस स्टार्ट नहीं होने पर प्राइवेट वालों ने बस को काउंटर से हटाने के लिए कहा। प्राइवेट बस वालों ने धक्का मरवा कर गाड़ी स्टार्ट की, जिसके बाद उसको वर्कशॉप के अंदर ले जाकर उसका कार्य करवाया। इसमें चालक की कोई गलती नहीं है। उसको सस्पेंड करना सरासर गलत है।


कर्मचारी नेताओं ने कहा कि जब अनिल विज को परिवहन विभाग का जिम्मा मिला था तो रोडवेज के चालक व परिचालकों में खुशी की लहर दौड़ी थी। उनको उम्मीद थी कि अनिल विज के परिवहन मंत्री बनने से विभाग की व्यवस्था सुधरेगी और उनको उच्चाधिकारियों के शोषण से मुक्ति मिलेगी, लेकिन अब उसका उल्टा हो रहा है। परिवहन मंत्री कर्मचारियों की समस्याएं सुनने की बजाए उनको प्रताड़ित करने का काम कर रहे हैं।


कर्मचारी नेताओं ने कहा कि रोडवेज कर्मचारियों की अनेक समस्याएं हैं। हरियाणा के हर एक डिपो में अलग-अलग हिसाब से ड्यूटी ली जाती है और अलग-अलग हिसाब से ओवरटाइम दिया जाता है। अलग-अलग हिसाब से रात्रि भत्ता दिया जाता है। कच्चे कर्मचारियों की सैलरी 15-16 तारीख से पहले नहीं आती है। कर्मचारियों का 1 साल का टीए और 1 साल का ओवर टाइम बकाया पड़ा है। उसकी भी गलत तरीके से कटौती की जा रही है। चालक परिचालक से 12 से 15 घंटे लगातार काम लिया जा रहा है और स्टेरिंग ड्यूटी किलोमीटर का बहाना बनाकर ओवर टाइम कम दिया जा रहा है। इन समस्याओं को लेकर यूनियन ने परिवहन मंत्री से मिलने का टाइम मांगा था, लेकिन अभी तक परिवहन मंत्री ने कर्मचारियों की सुध नहीं ली है। कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने की बजाय निर्दाेष कर्मचारियों को सस्पेंड किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि 2014 में जब भाजपा सरकार बनी थी, उस समय रोडवेज के बेड़े में  4200 बसे थी और आज 10 साल बीत जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा बसों का बेड़ा 5300 करने के उपरांत भी बेड़े में केवल 3500-3600 बस ही हैं जिनमें से 700 बसे लीज वाली है। केवल 2050 बस ही लंबे रूट पर चलने के काबिल हैं। इनमें से भी कुछ बसें तीन-चार महीने से टाटा की वर्कशॉप में खड़ी हैं। उनका हिसाब लेने वाला कोई नहीं है।

Share this content:


Discover more from HR Haryana News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from HR Haryana News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading