Hisar News Today : No trace of the youth buried in the well in Bithamda village, the volunteers of Shah Satnam Ji Green S took over the front along with NDRF
72 घंटे से तलाश में जुटी एनडीआरएफ, मिट्टी गिरने से काम बाधित
Haryana News Today : हिसार जिला के उकलाना उपमंडल के गांव बिठमड़ा में एक किसान के अपने खेत में ट्यूबवेल के कुएं में बड़ा हादसा होने के 72 घंटे बाद भी कुएं में दबे युवक का कोई सुराग नहीं लगा। राहत एवं बचाव कार्य के लिए प्रशासन की टीमों के अलावा एनडीआरएफ को बुलाया गया, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई। उसके बाद प्रशासन ने डेरा सच्चा सौदा सिरसा की शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स को बुलाया। अब राहत एवं बचाव कार्य शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स और एनडीआरएफ की टीमें संभाले हुए हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक बिठमड़ा गांव के एक किसान के टयूबवेल में करीब 50 से 60 फुट की गहराई पर पाइप खराब हो गई थी। जिसे ठीक करने के लिए उन्होंने पंजाब के गांव गुलरवाला से मजदूरों को बुलाया था। चार मजदूर ट्यूबवेल के पाइप के साथ-साथ 4 फीट चौड़ाई कर कुई खोद रहे थे। 4 अक्टूबर को मजदूरों ने लगभग 52 फीट गहरी कुई खोद दी थी।
इस दौरान रमेश नामक मजदूर खुदाई कर रहा था, तीन मजदूर ऊपर लगे हुए थे। सांय 6 बजे अचानक से मिट्टी धंस गई और साथ ही ऊपर से मिट्टी गिर गई। जिससे 50 फीट नीचे खुदाई कार्य कर रहा मजदूर रमेश मिट्टी के नीचे दब गया। जिसकी सूचना ग्रामीणों ने प्रशासन को दी गई। सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी एवं ग्रामीण भारी संख्या में मौके पर पहुंचे और 4 अक्टूबर रात्रि को ही बचाव एवं राहत कार्य शुरू कर दिया।
शुरुआत में जेसीबी मशीनों से खुदाई कार्य शुरू किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। उसके बाद पोकलेन मशीनों को खुदाई के लिए लगाया गया। वहीं गुडग़ांव से एनडीआरएफ टीम पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया। 5 अक्टूबर को जब खुदाई कार्य कर रहे थे, तो मिट्टी गिर गई और राहत कार्य बाधित हो गया। उसके बाद फिर लगभग 80 फीट चौड़ाई के हिसाब से खुदाई कार्य शुरू किया गया। चार पोकलेन मशीनों को खुदाई कार्य में लगाया गया।
आसपास से पेड़ पौधों व बिजली के खंभों को हटाया। 6 अक्टूबर सांय को लगभग 45 फीट गहराई तक गड्ढा खोद लिया गया था और सबको लग रहा था कि अब मिट्टी में दबे मजदूर को निकाल लिया जाएगा, लेकिन अचानक ऊपर से मिट्टी गिर गई और लगभग 6-7 फुट मिट्टी का दोबारा से वहां पर भराव हो गया। जिस कारण राहत एवं बचाव कार्य फिर बंद करना पड़ा।
लेकिन सात अक्टूबर को फिर से राहत एवं बचाव कार्य एनडीआरएफ व शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स के सेवादारों द्वारा शुरू किया गया और देर रात तक चलता रहा। परंतु सूचना मिलने तक भी कुएं में दबे रमेश का कोई सुराग नहीं लगा था।
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