Hisar News Today: students of Hisar Polytechnic College are being served food containing insects, principal said that they are giving three meals a day for 60 rs.
हिसार पालिटेक्निक हास्टल में परोसा जाने वाला खाना। |
(सुनील कोहाड़)
हरियाणा न्यूज हिसार : गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में खाने की दिक्कत कई बार सामने आई और अब हिसार पॉलिटेक्निक कॉलेज के हॉस्टल में भी छात्रों को कीड़ों वाला भोजन परोसा जाने का मामला सामने आया है। जब इस बारे में कॉलेज के प्रिंसिपल अशोक कुमार से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई दिक्कत नहीं है बल्कि ₹60 में छात्रों को तीन वक्त का खाना दिया जा रहा है। खाने की समस्या को लेकर छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को जिला उपायुक्त से मिला और ज्ञापन सौंपा। छात्रों की मांग है कि इस घटिया सत्र के खाने की गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए और मैस ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। जोकि छात्रों के स्वास्थ्य के साथ सरे आम खिलवाड़ कर रहा है और कॉलेज प्रशासन उसका कदम-कदम पर हमदर्द बन रहा है।
पालिटेक्निक कालेज हिसार के हॉस्टल में रहने वाले छात्रों का आरोप है कि उन्हें मैस में बहुत ही घटिया स्तर का खाना परोसा जा रहा है। अधिकतर शाम की बची हुई सब्जी को सुबह गर्म करके छात्रों को दी जाती है और दिन की बची हुई सब्जी को शाम को दी जा रही है। जब सब्जी कम पड़ जाती है तो उसमें पानी मिलाकर सभी छात्रों को परोसने योग्य बना दिया जाता है। ताकि कम बजट में अधिक से अधिक छात्रों को खाना खिलाने की खानापूर्ति की जा सके। छात्रों का आरोप है कि कई दफा सब्जी में कीड़े चलते मिलते हैं और रोटियों की गुणवत्ता भी काफी घटिया क्वालिटी की है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में कॉलेज प्रशासन से कई बार शिकायत की तो उन्होंने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और वह छात्रों के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को आंखें बंद कर सारा नजारा देख रहे हैं। छात्रों ने कहा कि उन्होंने जब इसके वीडियो और फोटो अपने मोबाइल में खींच लिए तो कॉलेज प्रशासन ने उन्हें डिलीट करने के लिए उन पर काफी दबाव बनाया। कॉलेज प्रशासन के ठेकेदार सुशील कुमार के प्रति गहरी हमदर्दी को लेकर छात्रों में रोष बना हुआ है। गुरुवार को छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल राहुल सहित अन्य छात्र लघु सचिवालय पहुंचे और जिला उपयुक्त को इस मामले में कार्रवाई करने के लिए ज्ञापन सौंपा। छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्दी इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वह कोई बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे।
छात्रों ने बताया कि उनके परिजनों ने हॉस्टल में इसलिए उन्हें छोड़ा हुआ है ताकि वह ठीक तरह से पढ़ाई कर सके और समय पर उन्हें भोजन मिल सके ताकि उनके स्वास्थ्य पर भी कोई दुष्प्रभाव ना पड़े। अगर उन्हें इस तरह का ही खाना खाना होता तो वह बाहर कोई कमरा लेकर भी बाहर के होटल पर खाना खाकर अपना पेट भर सकते थे। लेकिन एडमिशन के समय कॉलेज प्रशासन द्वारा हॉस्टल में तरह-तरह की सुविधाओं का गुणगान किया जाता है और उसी के मुताबिक उन्होंने हॉस्टल में रहने का मन बनाया था। लेकिन हॉस्टल में मिल रहे घटिया किस्म के खाने को लेकर अब उनका मन यहां से उठ चुका है क्योंकि आए दिन कोई ना कोई छात्र इस घटिया खाने से बीमार हो रहा है और उनके स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ रहा है।
कॉलेज के प्रिंसिपल जिस तरह से जवाब दे रहे हैं उसे लगता है कि मैस ठेकेदार सुशील कुमार से उनका गहरा रिश्ता है। क्योंकि हॉस्टल के मैस के अंदर खाने का रेट जिस समय ठेका उठना उसे समय निर्धारित किया जाता है और जिसका हिसाब किताब बैठता है उसे रेट में वह इसका ठेका ले लेता है। हर हॉस्टल के नियमों में हिसाब लिखा होता है कि छात्रों को उच्च गुणवत्ता का खाना दिया जाएगा और किसी भी प्रकार का घटिया किस्म का खाना व बासी (बचा हुआ खाना) खाना छात्रों को नहीं परोसा जाएगा। लेकिन प्रिंसिपल की यह हमदर्दी की ठेकेदार छात्रों को ₹60 में तीन वक्त का खाना दे रहा है इससे साफ जाहिर होता है कि कॉलेज के प्रिंसिपल छात्रों के स्वास्थ्य के प्रति कितने गंभीर है।
कार्रवाई नहीं हुई तो सीएम विंडो में देंगे शिकायत
छात्र दीपेंद्र ने बताया कि पिछले कई दिनों से लगातार खाने में आलू व गोभी की सब्जी दी जा रही है, उसमें बुधवार को कीड़े मिली। कई छात्रों ने उसे डस्टबीन में डाल दी। सितंबर माह की शुरूआत से ऐसा ही खाना दिया जा रहा है। अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सीएम विंडो में शिकायत देंगे। ब्वायज व गर्ल्स दोनों मैस का ठेका एक ही ठेकेदार सुशील के पास है। जब कोई छात्र घटिया खाना देने के विरोध में आवाज उठाता है तो उस पर दबाव बनाया जाता है। कुछ छात्र व छात्राएं इस डर के कारण डर के आगे नहीं आ रहे।
कुछ छात्रों ने खाना न खाने की भी बात कही
कुछ विद्यार्थियों ने हास्टल में रहने की मांग रखी, लेकिन खाना खाने पर ऐतराज जताया था। ऐसी स्थिति में संस्थान प्रशासन ने उनको हास्टल नहीं दिया। संस्थान में कुल तीन हास्टल है और तीनों में एक ही ठेकेदार है। हर छात्र के लिए 20 दिन की डाइट का चार्ज अनिवार्य है। चाहे वो खाना खाए या ना खाए।
मैं कई बार खुद हास्टल में खाना चेक करने जाता हूं। दूसरे राज्यों छात्र रहते हैं, उनको कोई दिक्कत नहीं कभी कभी टेस्ट में दिक्कत आती है, तो बात अलग है। हम 60 रुपये में तीन समय का खाना देते हैं। कुछ छात्र दूसरे संस्थानों से कंपेयर करते हैं। बुधवार को भी गर्ल्स हास्टल वार्डन से पूछा था उनको कोई दिक्कत नहीं। ऐसी बात है तो उनसे बात करेंगे। इसकी जांच कराएंगे। अभी परीक्षा के चलते छात्र भी कम है।
अशोक कुमार, प्राचार्य, पालिटेक्निक ।
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