Hindi Story: Mother becomes a problem for her sons,family trapped in the tricks of elder son
मां की अनदेखी, बड़े बेटे की चाल में फंसा परिवार
माता पिता अपनी औलाद के लिए अनेक सपने समझे हुए होते हैं। वह यह तो चाहते हैं कि उनके बेटे एक अच्छे इंसान और कामयाब इंसान बने साथ ही यह भी उनकी चाहत होती है कि उनका रिश्ता ऊंच घराने में हो। लेकिन वह माता-पिता बदकिस्मत होते हैं जो अपने बच्चों की उम्र को ध्यान में रखते हुए अपने झूठे रुतबे व दिखावे के फैसलों से अपने बच्चों की जिंदगी में नासूर बन जाते हैं। जो माता-पिता पैसे के लालची व जात पात में उलझे हुए होते हैं उन्हें ये भी ज्ञान नहीं होता कि उनके बच्चों की उम्र ढल रही है और वो हर रोज अपनी जिंदगी की पटरी से उतरते जा रहे हैं भले ही वो अपने जीवन में बच्चों के लिए कितनी भी धन दौलत कमाए हों। परन्तु वो दौलत उनके उन बच्चों के किसी काम की नहीं होती जो उनका घर बसाने में बाधक बने।
यह Hindi Story हरियाणा के एक गांव की है। आपने कई बार भाईयों को जमीन जायदात के लिए लड़ते झगड़ते तो हमने सबने देखा है, लेकिन कई बार मां बाप भी अपनी ही औलाद के लिए नासूर बन जाते हैं। आज हम ऐसी ही एक कहानी के माध्यम से समाज में घट रही ऐसी घटनों पर प्रकाश डालेगें। कहानी तब समझ में आएगी जब आप से पूरा पढ़ेंगें और समझ आए तो आगे शेयर जरूर करें। अगर समाज में जागरूकता वाली कोई अच्छी कहानी आपके दिमाग में है तो आप हमें मेल पर भेज सकते हैं।
एक गांव में एक दंपति के चार बच्चे थे जिनमें से तीन लडक़े व एक लडक़ी थी। उनमें से बड़ा लडक़ा तो बीए तक की पढ़ाई किए हुए था लेकिन दोनों छोटे लडक़े व लडक़ी नामात्र ही स्कूल में गए थे। उस परिवार की एक सोच थी कि लड़कियों को नहीं पढऩा चाहिए। जबकि बीच वाले लडक़ा घरेलू कार्य का बोझ पडऩे से पढ़ाई नहीं कर पाया और छोटे वाला पढ़ा नहीं।
उनका पिता खेती बाड़ी करता था और उनकी मां घरेलू महिला थी। बड़े बेटे व बेटी की शादी के कुछ समय के बाद उन बच्चों के पिता का अचानक देहांत हो जाता है। बीच के लडक़े के रिश्ते भी समय पर खुब आए। लेकिन उनकी मां जब भी अपने लडक़े के लिए बहू देखने जाती तो लडक़ी वालों के घर व परिवार को देखकर कहती कि ये परिवार हमारे लेवल का नहीं है और ये कहकर रिश्ते को ठुकरा देती। इस तरह से वो ना जाने कितने रिश्ते ठुकरा चुकी थी और लडक़ा भी 40 पार कर चुका था।
हमारे समाज में कहावत है कि अगर बड़ा कंवारा हो तो छोटे का रिश्ता नहीं आता। लेकिन उनकी मां को घमंड था कि उनके जमीन जायदात व रूपया पैसा बहुत है। परंतु उसे ये ज्ञान नहीं था कि हर चीज रूपए पैसे व जमीन जायदात पर नहीं टिकी होती। बच्चों की उम्र भी देखी जाती है। काफी बार उनके दामाद व अन्य रिश्तेदारों ने समझाने का प्रयास किया, परंतु ना ही तो उन बच्चों की मां मानी और ना ही उनका जो बड़़ा भाई विवाहित था वो मानता।
क्योंकि समय के साथ साथ बड़े में लालच आ चुका था कि जो जमीन जायदात है वो उसके व उसके बच्चों के ही रह जाएगी। क्योंकि वो तो सारा दिन बना ठना रहता था और बीच का कोई काम धंधा करता था तो सबसे छोटे वाला खेती बाड़ी व पशुओं के काम को ठीक तरह से संभाल लेता था। खेती बाड़ी के कार्य में लगा होने के कारण उसे समाज के अच्छे बूरे का ज्ञान नहीं था।
एक बार कोई रिश्तेदार छोटे लडक़े का रिश्ता लेकर उनके घर पर आ गया। जब लडक़ो को दिखाने के लिए बुलाया तो वो अपनी ना समझ के कारण उनके ही पास बैठ गया और अपने परिवार की बोर बढ़ाई की बातें करने लगा। ये बातें सुनकर उनके रिश्तेदार व रिश्ते के लिए आए लोगों को रास नहीं आई और वो बिना रिश्ता किए ही वहां से चले गए। इस तरह से दोनों छोटे भाई रिश्ता होने की उम्र को क्रास कर गए।
मोरल : अगर समय रहते उनकी मां बीच वाले लडक़े का रिश्ता ले लेती तो उसके आज तीनों लडक़ों का घर बसा होता। परंतु उन दोनों छोटे लडक़ों के लिए बड़े भाई से ज्यादा नासूर उनकी मां बन गई। परंतु बाद में बड़े भाई के लालच पैदा हो गया।
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