Haryana politics News, will Haryana Congress be able to come out of the maze of factionalism, will SRK duo be able to show strength in the yatra?
गुटबाजी के चक्रव्यूह की दलदल में फंसी कांग्रेस के नैया होगी कैसे पार ?
हरियाणा न्यूज हिसार : हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले लोकसभा चुनाव होंगे। लेकिन कांग्रेस की गुटबाजी के कारण आज तक कांग्रेस का संगठन बिस्तर नहीं हुआ। असल में कांग्रेसी नेता कुर्सी की लड़ाई लड़ रहे हैं या भीतर घात कर कांग्रेस को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस की अधिकतर बैठकों में कार्यकर्ता और नेता अलग-अलग गुटों में बैठे हुए दिखाई देते हैं और आपस में ही लड़ते झगड़ते रहते हैं।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा बुधवार को जंन सदेश यात्रा का शुभारंभ करने जा रहे हैं। उनकी यात्रा से हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदय भान सहित पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट कहीं ना कहीं दूरी बनाए हुए दिखाई दे रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा के साथ इस यात्रा में उन कैसे होगी रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी विशेष रूप से सहयोगी रहेंगी।
कांग्रेस से जुड़े कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि एसआरके की इस यात्रा में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के फोटो को भी बैनरों पर जगह नहीं दी गई है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा की पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान के फोटो को सरक के बैनरों में जगह मिलती है या नहीं और क्या कांग्रेस के यह दिग्गज एसआरके की इस यात्रा में शामिल होंगे। लेकिन अभी स्थिति से स्पष्ट होता है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट व एसआरके के बीच की यह खाई अभी पटती हुई दिखाई नहीं दे रही।
अगर 2019 के चुनाव की बात करें तो कुछ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा नेताओं से मिलीभगत कर ऐसे उम्मीदवारों को चुनावी दंगल में उतारा जिनका हल्के में तो क्या उनके खुद के गांव में भी कोई जन आधार नहीं था। नारनौंद हल्के से भी ऐसे ही उम्मीदवार को चुनावी रण में पैराशूट से उतारा गया था। जो पूरे मत अपने गांव के भी नहीं ले पाए थे।
अगर कांग्रेस की स्थिति यही रही तो आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि काफी नेता कांग्रेस में रहते हुए सीएम की कुर्सी से कम सपने नहीं देखते और कुर्सी के लालच में वो पार्टी को अलविदा कहकर दूसरी पार्टियां ज्वाइन कर रहे हैं और वहां पर मुख्यमंत्री तो दूर एक साधारण कार्यकर्ता बनकर रह जाते हैं। इन बातों के उदाहरण आप सबको अनेकों मिल जाएंगे। लेकिन यह नेता कांग्रेस में रहते हुए एकजुट होने को किसी भी कीमत पर तैयार नहीं है।
अगर आने वाले चुनाव में कांग्रेस ने जीतने वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं दी और सबने दिल से साथ नहीं दिया या फिर पार्टी को नजरंदाज कर अपने चाहतों को टिकट दिलाई तो पार्टी के लिए इस बार भी कोई जादुई छड़ी काम करने वाली नहीं है।
वही कांग्रेस छोड़ आप में शामिल हुए वरिष्ठ नेता अशोक तंवर ने अब तक भाजपा के प्रति जहर गुर्जर आए हैं लेकिन कांग्रेस और आप के इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के बाद उन्होंने आप को भी अलविदा कह दिया।
भाजपा पार्टी करीब 2 महीने से चुनावी मूड में आई हुई है और वह जोर-जोर से अपना प्रचार कर रही है और ना ही उसके नेताओं में फुट जैसी कोई बात है। भाजपा के आम कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेता तक एकजुट होकर चुनाव लड़ते हैं और अपनी जीत का परचम लहराते रहते हैं।
कांग्रेस में जो नेता मुख्यमंत्री बनने का सपना देख हैं उन में से अधिकतर नेताओं का जन आधार उनके खुद के हल्के से बाहर कोई खास नजर नहीं आ रहा। क्योंकि उनको खुद के हल्के में भी विपक्षी नेता कड़ी टक्कर दे रहे हैं। हालांकि उन्होंने पूरे प्रदेश में अपना जन आधार दिखाने के लिए प्रत्येक हल्के में अपने कुछ खास खास लोगों को सक्रिय जरूर किया हुआ है परंतु उनका जन आधार भी कोई खास दिखाई नहीं दे रहा है। लेकिन यह तो आने वाले चुनाव में ही तस्वीर साफ हो पाएगी कि हरियाणा में किस नेता का कितना जानधार है।
सुनील कोहाड़ पत्रकार / हरियाणा न्यूज हिसार।
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