Haryana Politics News: There was stampede among the leaders in the election year 2024, Ashok Tanwar said goodbye to AAP, Kurda Ram again joined Congress
हरियाणा न्यूज चंडीगढ़ : इस साल लोकसभा के साथ चुनाव के बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी के कारण नेताओं के बीच की खींच तान किसी से छिपी हुई नहीं है। इसी गुटबाजी के चलते पार्टी लाइन से हटकर एसआरके गुट प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों के लिए बुधवार को जनसंदेश यात्रा का आगाज कर चुका है। वही आप और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनने के बाद आप नेता एवं पूर्व कांग्रेसी सांसद अशोक तंवर ने अब आम आदमी पार्टी से भी बाय-बाय बोल दिया है। अब वह शनिवार को भाजपा मुख्यालय पर भाजपा का दामन थामेंगे।
आपको बता दें कि कांग्रेस में जो नेता कम कुर्सी और अध्यक्ष पद के लिए मारामारी करते थे वह धीरे-धीरे कांग्रेस को अलविदा कर दूसरी पार्टियों का दामन थाम रहे हैं। इसी गुट बाजी के चलते अशोक तंवर ने भी कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे। लेकिन भाजपा को टक्कर देने के लिए कोई विपक्षी पार्टियों ने एक साथ मिलकर इंडिया गठबंधन बनाया और यह गठबंधन लोकसभा चुनाव में ही नहीं हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी एक साथ लड़ने पर विचार कर रहा है। इसी बात से खफा पूर्व कांग्रेसी सांसद एवं आप नेता अशोक तंवर ने आम आदमी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। वह शनिवार को भाजपा पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
अध्यक्ष पद न मिलने से नाखूश पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पुत्र एवं आदमपुर से पूर्व विधायक कुलदीप बिश्नोई ने भी कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा का दामन थामने से पहले उन्होंने आदमपुर विधानसभा सीट से अपना त्यागपत्र दिया और उसके बाद आदमपुर उपचुनाव में उन्होंने अपनी जगह अपने बेटे भव्य बिश्नोई को भाजपा का उम्मीदवार बनवाकर चुनाव में उतारा था और वो चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे।
कांग्रेस पार्टी में आज भी काफी ऐसे नेता हैं जिनका ना ही तो अपने गांव में क्षेत्र में कोई जनाधार है और ना ही कोई उनके पीछे लंबी चौड़ी राजनीति विरासत है उसके बावजूद भी वह नेता अपने आप को सीएम का चेहरा दिखाने की भागदौड़ में लगे रहते हैं ताकि हाई कमान उन्हें सीएम पद का चेहरा घोषित करें और उनके नेतृत्व में आगामी चुनाव लड़ा जाए। पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने कई ऐसे नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा था जिनका अपने क्षेत्र की जनता से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। कांग्रेस की यही गुट बाजी कांग्रेस पर भारी पड़ती हुई नजर आ रही है। कई नेता तो ऐसे हैं जो पार्टी में उच्च पद हासिल करना चाहते हैं और दूसरी पार्टियों में जाने के बाद उनकी औकात एक साधारण कार्य करता की रह जाती है।
इनेलो छोड़ कुरड़ाराम नंबरदार पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल होते हुए। |
कांग्रेस के टिकट न मिलने से नाखुश कुरड़ाराम नंबरदार ने भी आदमपुर उपचुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर से कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और मात्र 15 मिनट में ही इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला के नेतृत्व में इनेलो में शामिल हुए थे। उन्होंने आदमपुर उपचुनाव में इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ा और मात्र 5248 वोट ही ले पाए थे। लेकिन उपचुनाव ना जीतने के बाद वह अब दोबारा से कुमारी से जाकर नेतृत्व में जनसंदेश यात्रा के दौरान कांग्रेस में पुनः एक बार फिर शामिल हो गए। वहीं नारनौंद हल्के से भी एक नेता के बारे में सुनने में आ रहा है कि अगर उन्हें कांग्रेस की टिकट नहीं मिली तो वह कांग्रेस को छोड़कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरेंगे। पिछले दिनों एक ऑडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही थी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा वरिष्ठ नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह भी साफ तौर पर कह चुके हैं कि अगर भाजपा जजपा गठबंधन नहीं टूटता और गठबंधन में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ लड़े तो वो भाजपा को छोड़ सकते हैं। इसको लेकर उनके पुत्र सांसद बृजेंद्र सिंह भी बयान दे चुके हैं। आपको बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बीच उचाना सीट से चुनावी मैदान में उतरने को लेकर काफी बयान बाजी करते रहते है और दोनों नेता एक दूसरे पर अक्सर निशान साधते रहते हैं।
वही विधानसभा चुनाव से पहले नारनौंद हल्के से विधायक रामकुमार गौतम भी जजपा को छोड़ देंगे। क्योंकि वो सरकार बनने के बाद से ही अपनी पार्टी के नेताओं और डिप्टी सीएम से नाराज चल रहे हैं। वह हर मंच पर अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पर कटाक्ष करते रहते हैं। सूत्रों से पता चला है कि रामकुमार गौतम के अलावा जजपा के कई विधायक और नेता दूसरी पार्टियों में जा सकते हैं। ऐसे में हर पार्टी में चुनाव से पहले भगदड़ मचनी लाजमी है। जिसे हरियाणा की भाषा में बिन तली का लोटा कहा जाता है और ये राजनेताओं के लिए आम बात है। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा की कौन सा नेता किस पार्टी में जाता है और उसे दूसरी पार्टी में पहले पार्टी की अपेक्षा कोई बड़ा पद मिलता है या फिर वह आम कार्य करता बनकर रह जाता है ?
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