Haryana News Today: Congress fell prey to Hooda stubbornness and Selja stubbornness, BJP succeeded in its objective
क्या गुटबाजी की भेंट चढ़ गई कांग्रेस की हरियाणा में सरकार बनाने की प्लानिंग, कांग्रेस के सपने हुए चकनाचूर
Haryana News Today : हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर सत्ता तक की दहलीज तक पहुंचने से पहले ही धराशाही हो गई। जैसे ही कांग्रेस पार्टी के बहुमत का आंकड़ा 37 पर अटका तो लोगों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि कांग्रेस पार्टी लोगों की भावनाओं को नहीं समझ पाई और कांग्रेस नेताओं ने ही अपनी ही पार्टी को इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया। जिसके मुख्य रूप से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मरोड़ और सिरसा लोकसभा सीट से सांसद कुमारी सैलजा का हट मुख्य रूप से बड़े जिम्मेवार है। एसएमएस वाला उठना है कि क्या हरियाणा कांग्रेस गुड्डू बाजी की भेंट चढ़ गई और उनकी सरकार बनाने की प्लानिंग बनी की बनी रह गई ।
हरियाणा में जबरदस्त लहर के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी सरकार बनाने के अपनी प्लानिंग से पीछे रह गई और भाजपा उससे आगे निकलते हुए कांग्रेस से ज्यादा सीटें हासिल करने में कामयाब रही। हरियाणा में जबरदस्त लहर के बावजूद कांग्रेस का इस तरह से लगातार दूसरी बार नजदीक से आई सत्ता कैसे हाथ से फिसल गई लिए जानते हैं इसके मुख्य कुछ कारण है।
भाजपा की चाल को नहीं समझ पाई कांग्रेस
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा पार्टी द्वारा तमाम वह प्रचार किया गया जो कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए जरूरी था। कांग्रेस नेताओं की तुलना में भाजपा के बड़े बड़े नेताओं ने हरियाणा की हर विधानसभा सीट पर चुनावी रैली कर लोगों को एक बार फिर सेवा देने का मौका मांगा। लेकिन हरियाणा की कुछ सीटों को छोड़कर कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता हरियाणा में चुनाव पर प्रचार करने के लिए नहीं पहुंचा।
चुनाव प्रचार करने से सैलजा की दूरी से दलित वोटर्स ने कांग्रेस से बनाई दूरी
सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा की वजह से खिसकी कांग्रेस चुनावी परिणाम आने के बाद लोगों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि हरियाणा में कांग्रेस का जबरदस्त माहौल होने के बावजूद भी कांग्रेस के बढ़ते वोट शेयर को रोकने में भाजपा कामयाब हो गई है। इसके पीछे मुख्य रूप से कारण कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री एवं सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा का हरियाणा चुनाव प्रचार से दूरी बनाना है। इससे भाजपा अपने मकसद में कामयाब हो गई और कांग्रेस एक बार फिर बैकपुट पर आ गई।
सैलजा द्वारा बार-बार अनदेखी और नारनौंद में की गई जातिगत टिप्पणी का जिक्र
कांग्रेस नेत्री चुनाव प्रचार मैं तो नहीं पहुंची लेकिन कई बार उनकी सोशल मीडिया पर कई पोस्ट देखी जो कांग्रेस के वोट बैंक को तोड़ने के लिए काफी कारगर साबित रही है। लेकिन आखरी दम तक कुमारी सैलजा ने नारनौंद में जस्सी पेटवाड़ के नामांकन दाखिल करने के दौरान बुजुर्ग पिरथी के द्वारा की गई जातिगत टिप्पणी का जिक्र नहीं छोड़ा और चुनाव प्रचार किए बिना भी मीडिया के सामने आकर सीएम के लिए बार बार दावेदारी जताकर नौनजाट मतदाताओं को असमंजस में डाल दिया कि अगर कांग्रेस को बहुमत मिला तो जाट मुख्यमंत्री बनेगा।
हुड्डा की मरोड़ ले बैठी कांग्रेस को
हरियाणा विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने टिकट बंटवारे में अपने विरोधी नेताओं की नहीं चलने दी और अधिकांश टिकटें अपने समर्थकों को दी। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा में कांग्रेस और आप का गठबंधन करने में भी टांग अड़ाई। जिससे हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन नहीं हो पाया। जिससे साफ झलकता है कि कांग्रेस को सात से बाहर कर रखने में हुड्डा के मरोड़ भी ले बैठी।
सुरजेवाला सिमटे कैथल सीट तक , रणदीप सिंह सुरजेवाला और सैलजा समर्थकों का नहीं मिला साथ
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजवाला और उनके समर्थकों ने भी कैथल विधानसभा सीट को छोड़कर अन्य सीटों से चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी। ऐसे में रणदीप सिंह सुरजेवाला बोर्ड से टिकट मांगने वाले नेता चुनाव प्रचार के दौरान नदारद दिखाई दिए। वहीं इस चुनाव में कुमारी सैलजा के समर्थक नेता टिकट कटने से नाराज होकर घर बैठ गए और उनके कुछ समर्थकों ने तो नाराज होकर कांग्रेस प्रत्याशियों को वोट देने की बजाय भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया।
भाजपा ने खेला जाति कार्ड
मतदान से करीब एक महीने पहले जब भाजपा को लगा कि हरियाणा का चुनाव उनके हाथ से निकलता जा रहा है भाजपा ने जाट नॉन जाट की राजनीति खेलते हुए हरियाणा में जाति कार्ड खेलना शुरू कर दिया और सोशल मीडिया पर इस तरह प्रचार किया गया कि कांग्रेस सरकार आई और हुड्डा मुख्यमंत्री बनेंगे तो हरियाणा में जाटों का दबदबा बढ़ेगा। जिससे अन्य जातियां को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं हरियाणा में पर्ची खर्ची से नौकरी लगेगी जबकि भाजपा सरकार आई तो मेरिट के आधार पर बिना पर्ची बिना खर्ची के नौकरी दी जाएगी।
जाटों का वोट बैंक बंटने से कांग्रेस को नुक्सान , भाजपा को फायदा
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने जाट वोट बैंक में भी सेंध लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिसकी वजह से जाटों का वोट कांग्रेस और भाजपा में बट गया जबकि अन्य जातियों का वोट उसकी तुलना में कांग्रेस लेने में नाकामयाब रही। भाजपा पार्टी द्वारा चुनाव में की गई किलेबंदी को हरियाणा की हुड्डा कांग्रेस भेद नहीं पाई और सत्ता की दहलीज तक पहुंचने से पहले ही कांग्रेस की सीटों पर चुनाव परिणाम में ब्रेक सा लग गया।
अशोक तंवर का नहीं चला दलित कार्ड
हरियाणा विधानसभा चुनाव से 2 दिन पहले महेंद्रगढ़ में राहुल गांधी की उपस्थिति में जब अशोक तंवर ने भाजपा छोड़ कांग्रेस ज्वाइन की तो कयास लगाए जा रहे थे कि उनके आने से दलित वोट बैंक कांग्रेस की तरफ कन्वर्ट होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उनका कांग्रेस में आना या ना आना कोई मायने नहीं रखता।
तीसरी बार हरियाणा में भाजपा सरकार बनाने में सबसे बड़ा फेक्टर
हरियाणा विधानसभा चुनाव में सबसे अहम फैक्टर डेरा सच्चा सौदा सिरसा का बताया जा रहा है। लोगों में चर्चा चल रही है कि चुनाव से पहले भाजपा ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम को 20 दिन की पैरोल देकर डेरा समर्थकों को साधने में कामयाबी मिली है और ऐसे में डेरे का अधिकांश वोट भाजपा की तरफ कन्वर्ट हुआ है। कुछ लोगों का तो कहना है की दर की तरफ से भाजपा को खुला समर्थन किया गया था लेकिन जब हमने दर से संपर्क किया तो उन्होंने ऐसा कोई भी निर्णय होने से मना कर दिया और कहा कि सभी भक्तों को अपने मनमर्जी से वोट डालने का अधिकार है और उन्होंने ऐसा ही किया है।
हरियाणा में जाट राजनीति में जाट नॉन जाट हावी
पिछले कुछ सालों से हरियाणा के राजनीति में जाट नॉन जाट फैक्टर हावी होता हुआ दिखाई दे रहा है। जिस गांव या जिस पोलिंग बूथ पर जाटों की संख्या अधिक है वहां पर अन्य जातियों से संबंध रखने वाले मतदाता गुप्त तरीके से वोट की चोट ऐसे करते हैं जैसे किसी को पता भी ना चले और राजनेताओं के बने बने समीकरण धरे के धरे रह जाए। वह देखते हैं कि इस चुनाव में जाट किसे स्पोर्ट कर रहा है तो वो अंदर कहते दूसरे उम्मीदवार को अपना समर्थन देते हैं। ऐसे में भाजपा को हरियाणा में लगातार तीसरी बार जाट नॉन जाट फैक्टर का लाभ मिला है।
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