Farmers’ tractor parade in Haryana: new example of agrarian struggle on Republic Day
26 जनवरी, 2025 को हरियाणा के अलग-अलग शहरों में किसानों ने एक जोरदार ट्रैक्टर परेड निकाली, जो न केवल गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित की गई, बल्कि यह किसानों के संघर्ष और उनके हक की लड़ाई का भी प्रतीक बन गई। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के आह्वान पर निकाली गई इस ट्रैक्टर परेड ने देशभर में किसानों की स्थिति और उनकी मांगों को जोर शोर से उठाया गया।
परेड का उद्देश्य और संदर्भ
भारत में किसानों का संघर्ष लंबे समय से चल रहा है, खासकर कृषि सुधारों को लेकर, जिनकी वजह से किसान सरकार से नाराज हैं। 2020 में केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को पास किया था, जिन्हें बाद में किसानों के लंबे संघर्ष और विरोध जन आक्रोश के चलते वापस लिया गया। हालांकि, सरकार के साथ समझौते के बावजूद, किसानों की अन्य कई समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। इस संदर्भ में, 26 जनवरी का दिन किसान आंदोलन को एक नए रूप में प्रस्तुत करने के लिए चुना गया, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि किसान केवल कृषि कानूनों का ही नहीं, बल्कि अपने बुनियादी अधिकारों और सुविधाओं के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।

ट्रैक्टर परेड का मार्ग और आयोजन
ट्रैक्टर परेड की शुरुआत हिसार, नारनौंद , उचाना, कुरुक्षेत्र, जींद और बरवाला में बाईपास ढाणी गारण रेलवे पुल से हुई। सुबह के लगभग 11 बजे, किसान और मजदूर एकत्रित हुए और उन्हें किसान नेताओं द्वारा मार्गदर्शन दिया गया। ट्रैक्टर परेड का मुख्य उद्देश्य न केवल अपनी मांगों को सरकार के सामने रखना था, बल्कि गणतंत्र दिवस के महत्व को भी किसानों के नजरिए से साझा करना था।
किसान नेता शमशेर सिंह पूनिया, सुरजीत सिंह, बलवान लोहान, आजाद पांलवां और सतनाम सिंह ने ट्रैक्टर परेड को हरी झंडी दिखाते हुए इसे एक ऐतिहासिक दिन बताया, जब देश की स्वतंत्रता के संघर्ष को याद करने के साथ-साथ किसानों की लड़ाई भी जारी रखी जाती है। उन्होंने कहा कि यह परेड सिर्फ एक गणतंत्र दिवस समारोह नहीं, बल्कि किसानों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार किसानों और मजदूरों के हक हुकूक पर लगातार हमले कर रही है, जो देश के संविधान के खिलाफ है।
ट्रैक्टर परेड का प्रभाव और संदेश
यह ट्रैक्टर परेड न केवल हरियाणा में ही नहीं बल्कि पूरे देश में एक महत्वपूर्ण संदेश पहुंचाने का कार्य किया। किसान नेताओं का कहना था कि यह परेड किसानों के संघर्ष को जीवित रखने के लिए आयोजित की गई है। यह एक तरीका था जिसके जरिए किसान अपने अधिकारों की रक्षा के लिए उठ खड़े हुए थे, और यह आंदोलन सिर्फ एक प्रदेश तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे देश में किसानों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए था।
ट्रैक्टर परेड ने यह भी स्पष्ट किया कि गणतंत्र दिवस के महत्व को समझते हुए किसान अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्षरत हैं। यह परेड देश की जनता को यह समझाने का प्रयास कर रही थी कि संविधान ने उन्हें जो अधिकार दिए हैं, उनके लिए संघर्ष करना उनका कर्तव्य है, और वे कभी भी अपने अधिकारों से समझौता नहीं करेंगे। यह आंदोलन सिर्फ कृषि सुधारों तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक समग्र संघर्ष था जो किसान और मजदूरों के समग्र जीवन और कल्याण से जुड़ा हुआ था।
ट्रैक्टर परेड में शिरकत करने वाले प्रमुख नेता और कार्यकर्ता
ट्रैक्टर परेड में कई प्रमुख किसान नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। इनमें ईश्वर बाडोपट्टी, राममेहर सरपंच, जीतु सरदाना, उमेद छान, धर्मवीर सिंह, सुंदर पनिहारी, अशोक बूरा बधाबड़, राजा धारीवाल, राजू पहलवान, दिलबाग सिंह, मनजीत देवल, रणबीर सिंह, सतीश छान, सोनू बोबुवा, धोला जेवरा, ऋषिकेश राजली, महासिंह सिंधु, बलवान बैनीवाल, बसाऊ राम, रमेश बोबुवा, राजेन्द्र नैन, सत्यवान खरक पुनिया, चंद्र छान और सरदानन्द राजली जैसे नेता शामिल थे। इन नेताओं और कार्यकर्ताओं का नेतृत्व किसानों के संघर्ष में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है, और इनकी उपस्थिति ने इस ट्रैक्टर परेड को और भी प्रभावी बना दिया।
शांतिपूर्ण परेड और जनता का समर्थन
परेड के दौरान, किसानों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया और शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए अपनी यात्रा की। यह परेड बगैर किसी विघ्न और विवाद के संपन्न हुई, जो यह दर्शाता है कि किसानों का आंदोलन अहिंसक था और उनका मुख्य उद्देश्य सिर्फ अपने अधिकारों की रक्षा करना था। ट्रैक्टर परेड का समापन बनभौरी रोड़ पर करीब 12:45 बजे हुआ। इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने यह सिद्ध कर दिया कि किसान अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे हमेशा कानून और व्यवस्था का पालन करते हुए संघर्ष करते हैं।
कृषि मुद्दों पर किसानों की स्थिति
किसानों के लिए स्थिति आज भी उतनी ही कठिन है। कई किसान संगठन अभी भी केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधारों और अन्य मुद्दों पर अपना विरोध जारी रखे हुए हैं। किसानों का आरोप है कि सरकार ने कई ऐसे कानून बनाए हैं जो उनके हितों के खिलाफ हैं, और उनके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसी महत्वपूर्ण मांगें अभी तक पूरी नहीं की गई हैं। इसके अलावा, किसानों के पास जो सस्ती खाद और बिजली की सुविधा थी, वह भी धीरे-धीरे कम हो रही है।
इन समस्याओं के बीच, किसान आंदोलन लगातार जारी है। 26 जनवरी को आयोजित यह ट्रैक्टर परेड एक बार फिर इस बात को साबित करती है कि किसानों का संघर्ष केवल कृषि कानूनों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक संघर्ष है जो पूरे देश में किसानों के समग्र कल्याण के लिए जारी रहेगा।
हरियाणा में किसानों द्वारा निकाली गई यह ट्रैक्टर परेड न केवल गणतंत्र दिवस की धरोहर को पुनः स्थापित करने का प्रयास था, बल्कि यह किसानों के संघर्ष की एक नई मिसाल पेश करने का भी काम किया। किसानों ने इस दिन अपनी आवाज बुलंद की और यह संदेश दिया कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार हैं। यह परेड यह भी साबित करती है कि देश में किसानों के संघर्ष की कोई सीमा नहीं है, और वे अपनी मांगों को लेकर आगे बढ़ेंगे।
बरवाला में किसानों की ट्रैक्टर परेड को संयुक्त अध्यक्षता राजूभगत सरसौद, सत्यवान खेदड़ और रोहतास राजली ने की, जबकि प्रमुख किसान नेता सुरजीत सिंह और सतनाम सिंह ने इस परेड को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। वहीं 26 जनवरी सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर ट्रैक्टर परेड के लिए अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष, जिला प्रधान व सर्वखाप पूनियां राज्य प्रधान शमशेर सिंह नंबरदार लाडवा, जिला उपाध्यक्ष सरबत पूनियां, जिला सचिव सतबीर धायल, राज्य कमेटी मेंबर कपूर सिंह बगला के नेतृत्व में किसान परेड के लिए नांधडी टोल पर किसान सभा की और से कुलेरी गाँव से किसान सरदारी मौजूद रहे। इसके अलावा सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर उचाना में धरना संयोजक आजाद पालवां के नेतृत्व मे ट्रैक्टर परेड निकाली गई।
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