Aajtak Haryana News : मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने किसानों के हित में बड़ा निर्णय लेते हुए वर्ष 2024-25 की रबी फसलों के प्रति एकड़ औसत उत्पादन की सीमा में बढ़ोतरी की है। इस निर्णय से किसानों को फायदा होगा, जो प्रति एकड़ संभावित उत्पादन से अधिक पैदावार होने पर अपनी फसल MSP पर बेच नहीं पाते थे।
राज्य सरकार ने किसानों की समस्या को देखते हुए प्रति एकड़ संभावित उत्पादन की सीमा का अध्ययन करने हेतु कमेटी का गठन किया था और कमेटी द्वारा दिए गए सुझावों को मुख्यमंत्री ने मंजूरी देते हुए प्रति एकड़ औसत उत्पादन की सीमा को तय किया गया है। यह निर्णय रबी खरीद सीजन 2025-26 में प्रभावी होगा।
इस निर्णय के अनुसार जौ की फसल उत्पादन सीमा 15 क्विंटल से बढ़ाकर 16 क्विंटल प्रति एकड़ किया गया है। चने की औसत उत्पादन सीमा 5 क्विंटल से बढ़ाकर 6 क्विंटल प्रति एकड़ तथा सूरजमुखी की उत्पादन सीमा 8 क्विंटल से बढ़ाकर 9 क्विंटल प्रति एकड़ की गई है।
गर्मी में पैदा होने वाली मूंग की फसल की औसत उत्पादन सीमा बढ़ाते हुए 3 क्विंटल से 4 क्विंटल प्रति एकड़ की गई है। इसी प्रकार, कमेटी ने मसूर की दाल के औसत उत्पादन को भी फिक्स किया है जो अभी तक फिक्स नहीं था। कमेटी के अनुसार मसूर का औसत उत्पादन अनुमान प्रति एकड़ 4 क्विंटल तय किया गया है। हालांकि, गेहूं की उत्पादन सीमा प्रति एकड़ 25 क्विंटल ही रखी गई है।
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पंचकूला में विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिवों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि वर्ष 2025-26 के लिए आगामी राज्य बजट विकासोन्मुखी होगा, जिसमें कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, बुनियादी ढांचे और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार विभिन्न सुधारों के माध्यम से लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है। राज्य सरकार ने पिछले दस वर्षों में शासन व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं, जो एक दशक से अधिक समय में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन हैं।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आज प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की और शिक्षा क्षेत्र में किए जाने वाले सुधारों पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025-26 के राज्य बजट में शिक्षा क्षेत्र पर विशेष फोकस किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने संकल्प पत्र में संकल्प लिया है कि हम भारत के किसी भी सरकारी कॉलेज से मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति के हरियाणा के विद्यार्थियों को पूर्ण छात्रवृत्ति प्रदान करेंगे, इसके लिए भी जल्द से जल्द रूपरेखा तैयार की जाए।
उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी प्रावधानों को पूर्ण रूप से लागू किया जाए, ताकि सरकार हरियाणा को वैश्विक शिक्षा का केंद्र बना सकें, जहां एआई और आधुनिक स्किल्स का प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके।
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