Disability bowed down in front of courage, Arun of Jind won medal at the national level
अरुण ने भोपाल में जीता रजत पदक
बचपन से बोलने सुनने में असमर्थ अरुण जब अपने आप को अकेला हुआ है कमजोर समझने लगा तो उसने तीरंदाजी को अपना मित्र बना लिया लेकिन तीरंदाजी दिव्यांगों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं में जगह न होने के कारण अरुण ने राइफल शूटिंग में अपनी किस्मत आजमानी शुरू कर दी। छोटे लेवल से शुरू की गई हर प्रतियोगिता में अरुण जितना गया और अब राष्ट्रीय स्तर पर हुई प्रतियोगिता में उसने दूसरा स्थान हासिल कर यह साबित कर दिया कि उसके आगे उसका दिव्यांगपन घुटने देख चुका है। अरुण की इसकी इस उपलब्धि पर उसके दोस्तों और पहचान वालों के साथ-साथ जींद जिले में खुशी का माहौल बना हुआ है।
तीरंदाजी को छोड़ राइफल शूटिंग में अजमाया भविष्य
जींद जिले के 100% मुक बधिर होने के कारण अरुण पांचाल अपने आप को अकेला महसूस करने लग गया था, लेकिन निशानेबाजी में रुचि को देखते हुए तीरंदाजी को ही अपना दोस्त बनाने की सोची। दो-तीन वर्षों के अभ्यास के बाद तीरंदाजी में जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया। बाद में पता चला कि अंतरराष्ट्रीय मूक बधिर प्रतियोगिताओं में तीरंदाजी का खेल सूची में नहीं है। उसके बाद कोच अंकित रंधावा द्वारा प्रोत्साहित करने पर राइफल शूटिंग खेलने का निर्णय लिया, लगातार अपने लक्ष्य को निर्धारित करते हुए जिला और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में फिर से प्रथम स्थान हासिल करके सबको चौंका दिया। अरुण पांचाल सामान्य बच्चों में भी अपनी जगह बनाते आया है। आगे उसका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मुक बधिर प्रतियोगिता में देश को गोल्ड दिलाना है।
राष्ट्रीय स्तर पर जींद व माता-पिता का नाम चमकाया
राईफल शूटिंग एकडमी कोच अंकित रंधावा ने बताया की 67वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पीयनशिप प्रतिस्पर्धा में मूक एवं बधीर वर्ग में हरियाणा प्रदेश के स्थानीय भिवानी रोड़ जींद निवासी अरुण पांचाल ने अपनी लग्न एवं मेहनत का एअर राईफल शूटिंग कोच अंकित रंधावा की अगवाई में राष्ट्रीय स्तर पर 50 मीटर एयर राईफल शूटिंग में निशाना साधते हुए ये मुकाम हासिल किया है। अरुण ने 15 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक भोपाल (मध्य प्रदेश ) में हुई निशानेबाजी प्रतियोगिता में उपरोक्त वर्ग में द्वितीय स्थान प्राप्त कर अपने प्रदेश तथा जिले का नाम रोशन कर रजत पदक हासिल किया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने का है सपना
अरुण ने अपने कोच के साथ -2 अपने माता पिता का नाम रोशन किया है। अरुण पांचाल बचपन से ही बोल और सुन नहीं सकता । यह सामान्य परिवार से सम्बंध रखता है इसके पिता रमेश कुमार एक शिक्षक तथा माता लक्ष्मी देवी एक सामान्य ग्रहणी हैं। उन्होंने बताया कि कोच अंकित रंधावा की अगवाई में अरुण पांचाल का लक्ष्य अंतराष्ट्रीय डैफ शूटिंग खेलों में पदक हासिल करना है। माता – पिता ने प्रैस के माध्यम से हरियाणा सरकार से बच्चे को यथा संभव सहायता देने की मांग की है। ताकि बच्चा अपने लक्ष्य तक पहुंच सके। देश एवं प्रदेश का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर सके ।
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