Kisan Andolan Update Today: Farmer suffers brain stroke at Khanauri border, farmers planning for 26 January
खनौरी बॉडर पर किसान भीमा सिंह को ब्रेन स्ट्रोक, अस्पताल में भर्ती
किसान अपनी मांगों को लेकर हरियाणा पंजाब के बॉर्डर्स पर डटे हुए हैं। बॉर्डर पर तनाव के साथ-साथ कई बार किसानों द्वारा सुसाइड करने के मामले वह अचानक हुए हादसे भी सामने आ रहे हैं। शनिवार रात को खनौरी बॉडर पर किसान आंदोलन के बीच एक और दुखद घटना सामने आई है। किसान नेता भीमा सिंह, जो कि गांव कोट भाई, ब्लाक गिदगबहा, जिला श्री मुख्तर साहिब से हैं, को अचानक ब्रेन स्ट्रोक आ गया। इस घटना से किसानों में मायूसी दौड़ गई है। भीमा सिंह को तत्काल राजेंद्रा अस्पताल पटियाला में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।
भीमा सिंह एक सक्रिय किसान नेता के रूप में जाना जाता है और उन्होंने कई बार किसानों के हक में आवाज उठाई है। इस बीच, उनके स्वास्थ्य के लिए क्षेत्रीय किसान संगठनों और नेताओं ने प्रार्थना की है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, भीमा सिंह की हालत स्थिर है, लेकिन वे अब भी आईसीयू में भर्ती हैं और डॉक्टरों की निगरानी में हैं।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का बयान
अमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने इस घटना पर गहरी चिंता जाहिर की है। डल्लेवाल ने कहा कि “भीमा सिंह हमारे आंदोलन का अहम हिस्सा हैं, और उनका स्वास्थ्य हमारे लिए चिंता का विषय है। हम सभी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।” साथ ही, डल्लेवाल ने यह भी कहा कि इस दुखद घटना के बावजूद किसान आंदोलन को लेकर उनका संकल्प दृढ़ है और आंदोलन जारी रहेगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। 26 जनवरी को किसानों का क्या प्लान होगा, इस पर उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। डल्लेवाल ने कहा कि 26 जनवरी को देशभर में किसानों के समर्थन में विशेष आयोजन किए जाएंगे और किसानों के अधिकारों की लड़ाई को आगे बढ़ाया जाएगा।
26 जनवरी को किसानों का प्लान: क्या होगा खास?
26 जनवरी का दिन भारतीय गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह दिन किसानों के आंदोलन के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण बन गया है। 2021 में किसानों ने इस दिन दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालकर सरकार के कृषि कानूनों का विरोध किया था। जो उग्र हो गया था और कुछ शरारती तत्वों द्वारा किसानो की आड़ में लाल किले पर पहुंचकर खालिस्तान झंडा फहरा दिया था। अब, 2025 में भी, किसानों का आंदोलन जारी है और 26 जनवरी को किसानों का क्या प्लान होगा, इसको लेकर कई संगठन सक्रिय हैं।
किसान नेताओं का कहना है कि 26 जनवरी को किसानों का मुख्य उद्देश्य अपने अधिकारों की रक्षा करना है। इस दिन किसानों द्वारा गणतंत्र दिवस के आयोजन के साथ-साथ विरोध प्रदर्शन भी आयोजित किए जाएंगे। हालांकि, इस बार विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्वक और संगठित तरीके से किए जाएंगे, ताकि किसी भी प्रकार की अराजकता से बचा जा सके।
किसान संगठनों की बैठकें और तैयारी
किसान संगठनों ने 26 जनवरी के लिए विशेष बैठकों और तैयारी की है। इन बैठकों में यह निर्णय लिया गया है कि किसान दिल्ली में एकत्रित होंगे और सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके अलावा, राज्य स्तर पर भी किसानों के द्वारा कई स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
किसान नेता डल्लेवाल ने कहा, “हमारा लक्ष्य यह है कि हम सरकार को यह समझा सकें कि हम अपने हक के लिए खड़े हैं और हमें किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करना है। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे।”
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किसान आंदोलन के वर्तमान हालात
भारत में पिछले कुछ वर्षों से चल रहे किसान आंदोलन ने देशभर में व्यापक समर्थन हासिल किया है। 2020 में, केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को लागू किया था, जिसका किसान नेताओं ने कड़ा विरोध किया। किसानों का कहना था कि इन कानूनों से उनके कृषि कार्यों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और यह उनके लिए आर्थिक नुकसान का कारण बनेगा। इसके बाद से किसान संगठन लगातार इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र दिल्ली और उसके आसपास के इलाके बने हुए हैं, खासकर सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
किसान संगठन और उनका नेतृत्व इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उन्हें उनके हक का पूरा अधिकार मिलना चाहिए और सरकार से उनकी सुनवाई होनी चाहिए। हालांकि, 2021 में कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हिंसक हो गया था, लेकिन किसान नेता हमेशा से ही यह दावा करते आए हैं कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा है।
किसानों की स्वास्थ्य समस्याएँ और उनका मानसिक तनाव
किसान आंदोलन के दौरान किसानों को शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा है। लंबी बैठकें, धरने और सर्दी-गर्मी का सामना करना किसानों की सेहत पर भारी पड़ रहा है। कई किसानों ने आंदोलन के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना किया है, जैसे कि दिल का दौरा, उच्च रक्तचाप, और अब हाल ही में भीमा सिंह को ब्रेन स्ट्रोक की घटना ने इस स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
इसके अलावा, आंदोलन के दौरान कई किसानों ने अपने प्रियजनों को खो दिया, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहा है। इन मुद्दों को हल करने के लिए किसान संगठनों ने स्वास्थ्य शिविरों और मानसिक स्वास्थ्य सहायता सेवाओं की शुरुआत की है, ताकि किसानों को उचित इलाज मिल सके।
खनौरी बॉडर पर किसान भीमा सिंह के ब्रेन स्ट्रोक की घटना ने आंदोलन में सक्रिय भाग लेने वाले किसानों की चिंता बढ़ा दी है, लेकिन किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने इस कठिन समय में भी आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया है। 26 जनवरी के मौके पर किसान अपने संघर्ष को और तेज करेंगे, साथ ही शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों की मांग करेंगे। इस दिन का महत्व किसानों के लिए केवल एक प्रतीक है, जो उनके संघर्ष और एकता का प्रतीक है।
किसान आंदोलन में एकता और दृढ़ता की भावना बनी हुई है, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी आवाज को सुना जाए, वे किसी भी प्रकार के संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे। 26 जनवरी को इस आंदोलन की शक्ति को और अधिक महसूस किया जाएगा।
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