Has the Hooda era ended in Haryana Congress? Former Chief Minister Bhupendra Hooda’s rebellion in Congress
हिसार जिले के कांग्रेस नेताओं ने की पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा से बगावत
Hisar News : हरियाणा कांग्रेस में हालिया घटनाक्रम से यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व का प्रभाव कमजोर हो गया है और “हुड्डा युग” का अंत होने वाला है। हालांकि, इस पर ठोस निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी, लेकिन कुछ प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है:
- गुटबाजी और अंदरूनी कलह:
हिसार में हुड्डा गुट के नेताओं ने अपने ही गुट के खिलाफ आवाज उठाई है। जयप्रकाश (जेपी) पर भीतरघात के आरोप और विधानसभा सीटों पर हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ा गया है। इससे पता चलता है कि हुड्डा गुट के भीतर भी एकजुटता में कमी आई है। - दीपेंद्र हुड्डा की महत्वाकांक्षा:
भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व की महत्वाकांक्षा ने पार्टी के भीतर मतभेद को और गहरा कर दिया है। कुछ नेताओं का आरोप है कि व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वाकांक्षा पार्टी के प्रदर्शन को प्रभावित कर रही है। - कुमारी सैलजा और अन्य गुटों का दबदबा:
हरियाणा कांग्रेस में पहले से ही कुमारी सैलजा और अन्य गुटों के साथ हुड्डा गुट का मतभेद था। लेकिन अब जब उनके अपने गुट में बगावत हो रही है, तो यह हुड्डा के प्रभाव को और कमजोर कर सकता है। - भविष्य की रणनीति:
अगर भूपेंद्र हुड्डा इस स्थिति को संभालने में असफल रहते हैं, तो हरियाणा कांग्रेस में उनका नेतृत्व कमजोर हो सकता है। पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप की भूमिका भी अहम होगी।
हालांकि हुड्डा युग का अंत कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि हरियाणा कांग्रेस में उनका प्रभाव कमजोर हुआ है। पार्टी के भीतर जारी गुटबाजी और कलह उनके नेतृत्व के लिए चुनौती बन सकती है। अगर वे इसे सुलझाने में विफल रहते हैं, तो हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्व का नया दौर शुरू हो सकता है।
हरियाणा कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गुट में आंतरिक कलह उभरकर सामने आई है। हिसार जिले के बरवाला में हुड्डा गुट के सात नेता, जिनमें पूर्व मंत्री प्रो. संपत सिंह, पूर्व विधायक रामनिवास घोड़ेला, पूर्व विधायक प्रोफेसर राम भगत शामिल हैं, ने सांसद जयप्रकाश (जेपी) पर भीतरघात के आरोप लगाए हैं। इन नेताओं का कहना है कि जयप्रकाश के कारण कांग्रेस नलवा, हांसी, बरवाला और उचाना विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ वरिष्ठ नेताओं की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा के चलते पार्टी को नुकसान हुआ, क्योंकि वे 90 सीटों पर नहीं, बल्कि केवल 45 सीटों पर जीत हासिल कर मुख्यमंत्री बनना चाहते थे।
हालांकि, हिसार यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष सतेंद्र सहारण ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि ये नेता अपने अहंकार और भ्रष्टाचार के कारण हारे। उन्होंने दीपेंद्र हुड्डा और जयप्रकाश का बचाव करते हुए कहा कि जहां-जहां उन्होंने प्रचार किया, वहां कांग्रेस को जीत मिली।
इस आंतरिक कलह से हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र हुड्डा के प्रभाव पर असर पड़ सकता है, क्योंकि अब तक पार्टी में हुड्डा और सिरसा सांसद कुमारी सैलजा के गुटों के बीच ही मतभेद थे। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दीपेंद्र हुड्डा की महत्वाकांक्षा और पार्टी के भीतर की यह खींचतान कांग्रेस की स्थिति को प्रभावित कर सकती है।
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