TB Free India Campaign: Health check-up camp organized in Hisar district
राजपुरा गांव के ग्रामीणों ने करवाई स्वास्थ्य जांच
Sunil Kohar/ Haryana News : टीबी मुक्त भारत अभियान का उद्देश्य 2025 तक भारत को टीबी रोग से मुक्त करना है। इस अभियान के तहत देशभर में जागरूकता कार्यक्रम और स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। हिसार जिले के राजपुरा गांव में आयोजित स्वास्थ्य जांच शिविर इसका ताजा उदाहरण है, जो ग्रामीणों के बीच इस बीमारी की रोकथाम और इलाज के प्रति जागरुकता बढ़ाने में अहम साबित हुआ।
हिसार जिले में स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन
राजपुरा गांव में टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत एक स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का उद्देश्य लोगों को टीबी जैसी घातक बीमारी के बारे में जागरूक करना और जांच की सुविधाएं उपलब्ध कराना था। यह शिविर प्रधानमंत्री द्वारा चलाए गए 100-दिवसीय राष्ट्रव्यापी टीबी अभियान का हिस्सा था।
शिविर में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और मुफ्त जांच सेवाओं का लाभ उठाया। इसके साथ ही, शिक्षित करने के लिए हेल्थ वर्कर्स ने टीबी के रोकथाम के उपाय और इलाज की जानकारी दी।
राजपुरा गांव में स्वास्थ्य शिविर की विशेषताएँ
यह स्वास्थ्य शिविर स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित किया गया था। इस शिविर में निःशुल्क टीबी जांच की सुविधा प्रमुख रूप से प्रदान की गई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव राजपुरा और ढाणी ब्राह्मण में मेडिकल जांच शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ो ग्रामीणों ने अपने स्वास्थ्य की जांच करवाई। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से ग्रामीणों के खून, बीपी, एक्स रे, शुगर सहित अनेक बीमारियों की जांच की गई। जिन लोगों को कोई बीमारी मिली उन्हें स्वास्थ्य विभाग की तरफ से ही परामर्श देकर निशुल्क दवाइयां दी गई। इस मेडिकल जांच शिविर का आयोजन डॉक्टर अतुल सीएचओ, अजीत सिंह एमपीएचडब्ल्यू, एन एम सरस्वती, मित्तल, आशा वर्कर शीला, किरण बाला, अन्य ntep स्टाफ and STS बलकेश इत्यादि ने लोगों के स्वास्थ्य की जांच की।
शिविर में निम्नलिखित सेवाएँ मौजूद थीं:
- फ्री जांच: ग्रामीणों को टीबी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की निःशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध कराई गई।
- प्रशिक्षित चिकित्सक: स्वास्थ्य विभाग की एक अनुभवी टीम ने ग्रामीणों की स्वास्थ्य समस्याओं का निदान किया।
- स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूकता: टीम ने ग्रामीणों को टीबी के लक्षणों और उनके बचाव के तरीके समझाए।
- दवाइयों की उपलब्धता: टीबी के संदिग्ध मरीजों को निशुल्क दवाइयाँ और इलाज के विकल्प सुझाए गए।
ग्रामीणों की भागीदारी और प्रतिक्रिया
राजपुरा गांव के निवासियों ने इस शिविर में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सैकड़ों ग्रामीणों ने अपनी स्वास्थ्य जांच करवाई और टीबी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की। ग्रामीणों का कहना था कि स्वास्थ्य शिविर जैसी पहलें बेहद मददगार होती हैं, खासतौर पर दूर-दराज के क्षेत्रों में, जहां स्वास्थ्य सेवाएँ सीमित होती हैं।
एक ग्रामीण महिला ने कहा, “हमें कभी टीबी के लक्षण और इलाज के बारे में इतनी जानकारी नहीं मिली थी। यह शिविर हमारे लिए आंखें खोलने जैसा है।”
टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाना
टीबी मुक्त भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि टीबी के प्रति जागरूकता फैलाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सके। हिसार जिले में आयोजित शिविर जैसी गतिविधियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में इस जागरूकता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
टीबी के लक्षणों और उपचार की जानकारी
टीबी के सामान्य लक्षणों में लगातार खांसी, बुखार, वजन कम होना, और थकावट शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि इसका सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा बन सकता है।
टीबी के मुख्य उपचार में:
- एंटी-टीबी दवाओं का सेवन 6-9 महीनों तक करना होता है।
- नियमित जांच और दवाइयों का पालन मरीज की द्रुत रिकवरी के लिए जरूरी है।
इसके साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के इलाज का पूरा खर्च वहन करने की योजनाएं भी बनाई हैं।

भविष्य की योजनाएँ
टीबी मुक्त भारत अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए आने वाले समय में और अधिक स्वास्थ्य शिविर और जागरूकता अभियान आयोजित किए जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज की सुविधाएं पहुँचाने के लिए मोबाइल मेडिकल वैन का उपयोग किया जाएगा। साथ ही, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे लोगों को इस बीमारी से सचेत करते रहें।
सरकार ने स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत करने का संकल्प लिया है ताकि कोई भी व्यक्ति टीबी जैसी बीमारी से अछूता न रह सके।
टीबी मुक्त भारत अभियान की सफलता सामूहिक प्रयासों पर निर्भर करती है। हिसार जिले के इस शिविर ने न केवल ग्रामीणों की जांच की बल्कि उन्हें इस बीमारी से सतर्क रहने की सीख भी दी। यह आवश्यक है कि जागरूकता अभियानों और स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचे।
आने वाले वर्षों में इस अभियान के जरिए भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का सपना साकार करने के लिए हर नागरिक का योगदान बेहद महत्वपूर्ण होगा। ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य संबंधी प्रयास इस दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होंगे।
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