18 BJP MLA stuck in High Court: Will mid-term elections be held in Haryana or will President's rule be imposed
हरियाणा हाईकोर्ट में 23 विधायकों के चुनाव पर चुनौती – 4 मंत्रियों के भविष्य पर फैसला संभव!
Haryana News Update : हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए अभी चार महीने ही बीते हैं कि हरियाणा की नायब सरकार पर संकट के बादल मंडराने शुरू हो गए हैं। नायब सरकार के मंत्रियों सहित भाजपा के 18 विधायकों की सदस्यता अगर रद्द हो जाती है तो हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगना या मध्यावति चुनाव होना लाजमी है। क्योंकि हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे 23 विधायकों के भविष्य पर सवाल उठ खड़े हुए हैं कि वो किस प्रकार से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा बहुमत के जादुई आकड़े से काफी दूर हो जाएगी और कांग्रेस भी इस आंकड़े के आसपास भी नहीं है।
आपकों बतातें चलें कि चुनाव से पहले हरियाणा में भाजपा के खिलाफ माहौल बना हुआ था और अधिकतर लोगों की जुबान पर चुनावी चर्चा के दौरान ये शब्द थाा कि इस बार हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनेगी। इसको लेकर अलग अलग एजेन्सियों द्वारा किए गए सर्वे में भी बहुमत का आंकड़ा केवल कांग्रेस को मिलता हुआ दिखाया जा रहा था जबकि भाजपा को 20 से 25 सीटों पर समेट दिया गया था। परंतु जब चुनावी नतीजे आए तो सबको चौंका दिए। क्योंकि भाजपा ने 48 सीटें जीती और कांग्रेस 40 के आंकड़ें को भी नहीं छू पाई और 37 सीटों पर सिमट कर रह गई।
हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सदस्य चुनकर विधानसभा में पहुंचे थे। इनमें से भाजपा के 18 विधायकों सहित कुल 23 विधायकों चुनावी नजीतों को हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया और कई याचिकाएं दायर की गई। इन विधायकों के चुनाव नतीजों को उनके राजनीतिक विरोधियों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए याचिकाएं दायर की थी। इनमें आम विधायक ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट के चार मंत्री भी शामिल हैं। इन मंत्रियों में स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव (अटेली), शहरी निकाय मंत्री विपुल गोयल (फरीदाबाद), शिक्षा मंत्री महिपाल सिंह ढांडा (पानीपत ग्रामीण) और खेल राज्य मंत्री गौरव गौतम (पलवल) शामिल हैं।
भाजपा के इन मंत्रियों के खिलाफ याचिका दायर
1. अटेली से भाजपा विधायक एवं स्वास्थ्यमंत्री आरती सिंह राव के खिलाफ अतर लाल ने याचिका दायर की है।
2. फरीदाबाद से विधायक एवं कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार रहे लखन सिंगला ने चुनावी नतीजों को चुनौती दी है।
3. पानीपत ग्रामीण से विधायक एवं कैबिनेट मंत्री महिपाल सिंह ढांडा के खिलाफ कांग्रेस नेता सचिन ने याचिका दायर की हुई है।
4. पलवल से विधायक गौरव गौतम की जीत पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार करण दलाल ने चुनावी परिणाम को चुनौती दी है।
इन विधायकों के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिकाएं
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 18 विधायकों के चुनाव को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इनमें से प्रमुख नाम हैं
उचाना हल्के से मात्र चंद वोटों से चुनाव जीतकर विधायक बने देवेंद्र अत्री
बडख़ल विधानसभा सीट से विधायक धनेश अदलखा
होडल से विधायक हरिंदर सिंह
हिसार जिले के नलवा से विधायक रणधीर पनिहार
फरीदाबाद एनआईटी से विधायक बने सतीश कुमार के नाम शामिल हैं।
चुनाव के दौरान सत्ता और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग, ईवीएम में गड़बड़ी, और प्रचार के दौरान तय सीमा से अधिक राशि खर्च करने के आरोप भी याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं में लगाए गए हैं। इनमें भाजपा के ही नहीं बल्कि कांग्रेस सहित अन्य दलों के विधायकों के नाम भी शामिल हैं।
कुरूक्षेत्र की थानेसर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा के खिलाफ पूर्व मंत्री सुभाष सुधा ने इनके खिलाफ याचिका दायर की है। इनके खिलाफ दायर याचिका में एनआरआई मतदाताओं के नाम पर फर्जी वोटिंग का आरोप लगाया गया है।
पंचकूला से कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई के चुनाव परिणाम को भी चुनौती दी गई है।
लोहारू से कांग्रेस विधायक राजबीर फरटिया के खिलाफ भी याचिका दायर की गई है।
सिरसा की डबवाली विधानसभा सीट से इनेलो विधायक एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के पौत्र व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के भतीजे आदित्य देवीलाल के चुनाव नतीजों को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
बहादुरगढ़ के निर्दलीय विधायक राजेश जून के चुनाव को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
विधानसभा का वर्तमान गणित
अक्टूबर 2024 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 48 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 37, इनेलो ने 2, और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटें हासिल कीं। सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की आवश्यकता होती है, और भाजपा के पास 48 सीटें हैं। यदि हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में से कुछ में विधायकों की सदस्यता रद्द होती है, तो हरियाण में भाजपा की नायब सरकार अलपमत में आ सकती है।
न्यायिक प्रक्रिया और संभावित प्रभाव
हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में से कुछ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो चुकी है, जबकि कुछ पर सुनवाई होनी बाकी है। अधिकतर याचिकाओं में सुनवाई के लिए अगली तारीख फरवरी माह में निर्धारित की गई है। यदि हाईकोर्ट में याचिककर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों को साबित कर पाते हैं तो इन विधायकों की सदस्यता रद्द हो सकती है, जिससे हरियाणा सरकार के स्थायित्व पर प्रश्नचिह्न लग सकता है। अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं कि आने वाले समय में हरियाणा की राजनीति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।
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