हिसार लोकसभा के रण में चढ़ा चुनावी पारा,देवीलाल परिवार को टक्कर देने मैदान में उतरे जयप्रकाश
election temperature in Hisar Lok Sabha battle increased, Jayaprakash entered the fray to challenge Devi Lal family
हरियाणा न्यूज टूडे / सुनील कोहाड़।
हिसार लोकसभा चुनाव की ताजा खबर: कांग्रेस ने अपनी हिसार प्रत्याशी के नाम की घोषणा होने के बाद हिसार चुनावी रण रोचक हो गया है। क्योंकि करीब 37 साल पहले देवीलाल की पहल से राजनीति में कदम रखने वाले जय प्रकाश हिसार लोकसभा सीट से देवीलाल के वंशजों को टक्कर देंगे। अब हिसार का चुनावी दंगल चौटाला परिवार बनाम जयप्रकाश के बीच लड़ा जाएगा। जय प्रकाश पहली बार 1989 में जनता दल से ही सांसद बने थे। उसके बाद वह दो बार और जीते मगर चार बार वह इस सीट से हार भी चुके हैं। दूसरी तरफ भाजपा ने देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला, इनेलो ने सुनैना चौटाला और जजपा ने नैना चौटाला को मैदान में उतारा हुआ है।
कैथल के दुब्बल गांव रहने वाले जय प्रकाश ने शुरू से ही हिसार लोकसभा सीट को नहीं छोड़ा है। वह यहीं से सात बार चुनाव लड़ चुके हैं। जनता दल से 1989, हविपा से 1996 और कांग्रेस से 2004 सांसद बने। मगर 1991, 1998 के बाद 2009 और 2011 में हुए उप चुनाव में उनको हार का सामना भी करना पड़ा था।
देवीलाल से सीखकर राजनीति में आने वाले जय प्रकाश के सामने अब देवीलाल के परिवार के सदस्य ही चुनावी दंगल में चुनौती देने के लिए इस रण में उतरे हुए हैं। लेकिन दुष्यंत चौटाला की जजपा का हिसार किला किसान आंदोलन की वजह से ढह चुका है और भाजपा व जजपा नेताओं को हिसार लोकसभा के अधिकतर हिस्सों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इनेलो उम्मीदवार सुनैना चौटाला इस बार रण में पहली बार कूदी हैं। राजनीति में बेशक जय प्रकाश का हिसार से पुराना नता है मगर दूसरे प्रतिद्वंदी भी उनको कड़ी टक्कर देने के लिए कमर कस चुके हैं। अब ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि कौन किसको चीत करता है।
कैसे हुआ था जयप्रकाश उर्फ जेपी का राजनीति करिअर शुरू
जय प्रकाश ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत चौधरी देवीलाल के साथ की थी। देवीलाल ने उस समय ग्रीन ब्रिगेड बनाई और जय प्रकाश को उसका अध्यक्ष बनाया था। उस समय वह सुर्खियों में आए। उसके बाद देवीलाल ने जनता दल से जय प्रकाश को 1989 में हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीते भी। मगर 1996 में उनके संबंध बिगड़े तो वह पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के साथ चले गए। बाद में वह कांग्रेस से जुड़े और फिर पार्टी नहीं बदली। कांग्रेस ने भी उन पर विश्वास जताते हुए 2004 में चुनाव लड़ाया जिसे वह जीते, मगर उसके बाद दोनों चुनाव हार गए।
बृजेंद्र की कटी टिकट :
पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व आइएएस एवं पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह की कांग्रेस से टिकट कट गई है। वह 2019 में भाजपा की टिकट पर लाखों वोट से जीत कर हिसार से सांसद बने थे। इनके नाम की काफी जोरों से चर्चा चल रही थी। पूर्व सांसद भाजपा छोड़कर पिछले दिनों कांग्रेस में शामिल हुए थे। उनकी तरफ से हिसार सीट से ही चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की गई थी।
बीरेंद्र सिंह को हरा चुके हैं जेपी
1989 में जब जय प्रकाश पहली बार चुनाव लड़े तो उनके सामने चुनाव में पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह थे। जनता दल से जय प्रकाश ने दो लाख 91 हजार 73 वोट हासिल किए थे जबकि बीरेंद्र सिंह को दो लाख 46 हजार 394 वोट मिले थे। हर चुनाव में उनका वोट प्रतिशत बढ़ा है।
हिसार से नहीं है एक भी कांग्रेस का विधायक
हिसार लोकसभा में नौ विधानसभा आती हैं। मगर किसी भी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का विधायक नहीं है। भाजपा और जजपा के लिए यह भी एक प्लस प्वाइंट हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी को ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी।
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