हरियाणा में थमे ट्रकों के साथ प्राइवेट बसों के पहिए : जाने ट्रक व बस चालकों की प्रदर्शन करने की वजह

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 Wheels of private buses stuck with trucks in Haryana

हरियाणा न्यूज हिसार: केंद्र सरकार द्वारा सड़क हादसा होने पर वाहन चालक को 10 साल की सजा और सात लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान किया है। वाहन चालक इसे तानाशाही कानून बता कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जहां नया साल लोगों के लिए खुशियां लेकर आने वाला होता है, लेकिन इस नए साल पर ट्रक चालकों के साथ-साथ निजी बसों के भी पहिए रुक गए और चालकों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। 

पूरे हरियाणा में ट्रैकों के तो पहिए पहले ही रुके हुए हैं साथ ही उनके साथ में प्राइवेट बस चालक भी उत्तर आए हैं। नए वर्ष पर बेसन के पहिए रुकने से दैनिक यात्रियों के साथ-साथ छात्रों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि काफी रूटों पर तो प्राइवेट बस ही चलती हैं और कई लंबे रूटों पर भी प्राइवेट बसों की संख्या अधिक होने के कारण गांव शहरों के बस स्टैंड ऊपर यात्रियों के भीड़ नजर आई। 

 बस चालकों का कहना है कि सरकार इंश्योरेंस कंपनियों के बचाव के लिए इस तरह का काला कानून लेकर आई है। वह प्राइवेट बसों और ट्रैकों पर 8-10 हजार की नौकरी कर अपने परिवार का गुजर बसर करते हैं और कोई भी चालक जानबूझकर एक्सीडेंट नहीं करता बल्कि यह अनजाने में हो जाता है। चालकों ने बताया कि वह अपने पूरे जीवन में भी इतने रुपए नहीं कमा पाते जितना जुर्माने का प्रावधान सरकार ने कर दिया है। अगर जुर्माना चालकों को अपनी जेब से ही भरना है तो फिर इंश्योरेंस करवाने का क्या फायदा और सरकार इसे क्यों लागू कर रही है की इंश्योरेंस नहीं होने पर वहां का मोटा चालान भी काटा जाता है। 

बस चालकों ने धमकी दी है कि अगर यह काला कानून वापस नहीं लिया गया तो उन्हें ड्राइवर की नौकरी छोड़कर और कोई धंधा करना पड़ेगा। क्योंकि ऐसे में कोई भी साधन चलाने से बचेगा, जिसका सीधा असर नए व पुराने वाहनों की बिक्री पर भी पड़ेगा। इस तरह का कानून लागू होने से कोई भी व्यक्ति वाहन चलाने से बचेगा। अगर कोई वाहन चलाने वाला नहीं होगा तो इसका असर रोजमर्रा की वस्तुओं के साथ-साथ अन्य व्यवसायों पर भी पड़ेगा। क्योंकि आज हर घर में कोई न कोई मोटरसाइकिल कर जीप ट्रैक्टर या अन्य साधन है। इस कानून के लागू होने से गरीब, किसान, मजदूर भी नहीं बच पाएंगे। 

क्या कहते हैं बस आपरेटर 

प्राइवेट बस ऑपरेटर राजेश उर्फ बिल्लू ने बताया कि उसकी कई रूटों पर बसे चलती हैं। बस साल खड़ताल पर गए हैं तो इससे उसे हर रोज हजारों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। बस चालकों की मांग जायज है। जब वहां का इंश्योरेंस होता है तो चालक से जुर्माना वह वसूलना नाइंसाफी है।  राजेश उर्फ बिल्लू ने बताया कि अगर हादसा होने पर वाहन चालक मौके पर ही रहा तो गोसाई भीड़ उसकी जान भी ले सकती है। ऐसे में सरकार को ऐसे कानून बनाने से परहेज करना चाहिए और जनहित में कार्य करें इस तरह के काले कानून को वापस लेना चाहिए। 

हांसी हिसार में निजी बस चालकों ने सरकार के काले कानून के खिलाफ किया प्रदर्शन

 केंद्र सरकार द्वारा लागु किए गए चालकों के खिलाफ काले कानून के खिलाफ नववर्ष के पहले दिन हांसी के सैकड़ों निजी बस चालकों ने स्थानीय बस स्टेंड परिसर में प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारे लगाए। इस अवसर पर चालकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने चालकों द्वारा एक्सीडेंट हो जाने और उक्त व्यक्ति की मौत हो जाने पर ड्राईवर की 10 साल की सजा व 7 लाख रूपए का जुर्माना होगा।

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 इस कानून के खिलाफ चालकों ने धरना लगाया और प्रदर्शन किया। इस अवसर पर चालक सुभाष पुनिया ने कहा कि वह सरकार से प्रार्थना करते है कि इस काले कानून को वापिस ले। उन्होंने कहा कि कोई भी ड्राईवर जान बुझ कर एक्सीडेंट नहीं करता है। चालक सुमित बल्हारा ने कहा कि कई बार चालक भी घायल हो जाता है या उसकी मौत हो जाती है, बाद में उसके बच्चों का क्या हश्र होता है, उसके लिए सरकार ने क्या कानून बनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार यह कानून वापिस लें। इस अवसर पर सैकड़ो की तादात में बस चालक मौजूद थे।

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