स्कूल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनादर, गेट की जगह दीवार बनी समस्या

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Disrespect of Netaji Subhash Chandra Bose’s statue in kirtan Hisar school, wall instead of gate became a problem

स्कूलों में अक्सर अध्यापक हमें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के आदर्श सत्कार और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात करते सुनाई देते होंगे। लेकिन अध्यापक अपनी असल जिंदगी में इस बात पर कितना गौर करते हैं इसकी पोल खोलने के लिए यह फोटो और स्कूल का हाल बताने के लिए शायद काफी होगा। क्योंकि अध्यापक स्कूल में केवल किताब भी ज्ञान देते हैं और उसे अपने जीवन में कभी धारण ही नहीं करते। अगर अध्यापक खुद उन चीजों पर गौर करें और अपने जीवन में उन्हें अपने तो शायद उनके शिष्य भी आगे चलकर कभी कोई गलती ना करें।

हिसार जिले के गांव किरतान का सरकारी स्कूल इन दिनों एक बड़ी समस्या का सामना कर रहा है, जिससे न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि देश के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का भी अनादर हो रहा है।

गेट की चोरी बनी समस्या
गांव किरतान निवासी सुंदर सिंह किरतान ने बताया कि कुछ समय पहले स्कूल का मुख्य लोहे का गेट चोरी हो गया था। गेट के माध्यम से ही गांव के बच्चे स्कूल में प्रवेश करते थे। गेट के ठीक ऊपर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगी हुई थी, जो बच्चों को देशभक्ति और प्रेरणा का संदेश देती थी।

गेट की चोरी के बाद, स्कूल प्रशासन ने मुख्य गेट की जगह एक दीवार खिंचवा दी। अब बच्चों को स्कूल में प्रवेश करने के लिए दूसरे गेट का उपयोग करना पड़ता है। इस बदलाव से न केवल बच्चों की दिनचर्या प्रभावित हुई है, बल्कि नेताजी की प्रतिमा की गरिमा को भी ठेस पहुंची है।

ग्रामीणों की नाराजगी और मांग
ग्रामीणों ने इस स्थिति पर नाराजगी जाहिर की है। सुंदर सिंह किरतान ने बताया कि दीवार के कारण मुख्य गेट का महत्व समाप्त हो गया है, और प्रतिमा की उपेक्षा हो रही है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि स्कूल का गेट जल्द से जल्द लगाया जाए ताकि बच्चे उसी गेट से स्कूल आ-जा सकें, और नेताजी की प्रतिमा का मान-सम्मान बहाल हो।

प्रतिमा से प्रेरणा लेते थे बच्चे
स्कूल के मुख्य गेट पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत थी। बच्चे प्रतिमा के नीचे से गुजरते हुए अपने जीवन में नेताजी के आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा लेते थे। लेकिन दीवार बनने के बाद, बच्चों का यह अनुभव समाप्त हो गया है।

प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश
ग्रामीणों ने बार-बार प्रशासन का ध्यान इस समस्या की ओर खींचने की कोशिश की है। सुंदर सिंह का कहना है कि नेताजी की प्रतिमा का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने मांग की कि प्रशासन जल्द से जल्द नए गेट की व्यवस्था करे ताकि बच्चों को आसानी हो और नेताजी की प्रतिमा का मान बढ़े।

समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह घटना समाज और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करती है। एक ओर जहां बच्चों की शिक्षा और सुविधा का ध्यान रखना आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर, देश के महान नायकों की प्रतिमाओं का संरक्षण भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस न केवल स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे, बल्कि उन्होंने हमें देशभक्ति और आत्मनिर्भरता का संदेश भी दिया।



गांव किरतान के सरकारी स्कूल की यह समस्या केवल एक गेट की कमी नहीं है, बल्कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी और देशभक्ति के प्रति सम्मान का सवाल भी है। प्रशासन को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करना चाहिए ताकि बच्चों को प्रेरणा मिल सके और नेताजी की प्रतिमा का मान-सम्मान बरकरार रखा जा सके।


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