Before Lok Sabha elections, shock to BJP in Haryana, three independent MLAs left BJP and joined Congress, Naib Saini’s government came in minority
हरियाणा न्यूज टूडे/ चंडीगढ़: भाजपा जजपा का गठबंधन टूटने के बाद निर्दलीय विधायकों की बैसाखी के सहारे चल रही हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार को लोकसभा चुनाव से पहले तगड़ा झटका देते हुए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने भाजपा खेमें के निर्दलीय विधायकों में सेंध लगाते हुए तीन विधायकों को अपने पालने में लाने से हरियाणा की भाजपा सरकार में अल्पमय गई है। ऐसे में प्रदेश में चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है कि क्या अब लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी होंगे।
मंगलवार को रोहतक में 3 निर्दलीय विधायकों ने हरियाणा की BJP सरकार से समर्थन वापिस लेकर कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दिया। जिनमें –
◆ विधायक सोमबीर सांगवान (चरखी दादरी)
◆ विधायक रणधीर गोलन (पूंडरी)
◆ विधायक धर्मपाल गोंदर (नीलोखेड़ी)
जनभावना को ध्यान में रखकर सही समय पर लिया गया सही फैसला रंग जरूर लाएगा। आज जनता ही नहीं बीजेपी को वोट देने वाले और समर्थन देने वाले लोग भी सरकार की नीतियों से दुखी हैं।
JJP और निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी के बाद अब BJP सरकार अल्पमत में आ चुकी है। इसलिए हरियाणा में तुरंत राष्ट्रपति शासन लागू करके विधानसभा चुनाव करवाए जाने चाहिए।
हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों के बीजेपी से अलग होने के बाद हरियाणा की भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई है. दरअसल बीजेपी सरकार के पास जननायक जनता पार्टी से नाता तोड़ने के बाद और अलग होने के बाद 48 विधायकों का समर्थन प्राप्त था. वर्तमान में नायब सैनी सरकार को 48 विधायकों का समर्थन प्राप्त था, जिसमें भाजपा के 41 ,हरियाणा लोकहित पार्टी के एक विधायक गोपाल कांडा और छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था। भाजपा के 41 विधायकों में से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहले ही अपना त्यागपत्र दे चुके हैं और करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद अब भाजपा के पास केवल 43 विधायकों का समर्थन रह गया है।
लोकसभा चुनाव का बिल्कुल बचाने से पहले चारों तरफ मोदी लहर जोड़ी रही थी लेकिन जैसे ही चुनाव की घोषणा हुई तो मोदी लहर की हवा निकल गई। क्योंकि अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों की कोई सुनवाई नहीं हुई और किसानों ने अब भाजपा नेताओं के रास्ते में कीलें ठोकने का काम किया है। हरियाणा में कांग्रेस पार्टी द्वारा टिकटों का सही बंटवारा करने से हरियाणा में कांग्रेस की लहर चल पड़ी और भाजपा सरकार की गलत नीतियों की पोल खोलने में भी हरियाणा कांग्रेस के नेता काफी हद तक कामयाब होते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने तीन निर्दलीय विधायकों को अपने खेमें में शामिल कर भाजपा को चुनाव से ठीक 18 दिन पहले झटका दे दिया है।
भाजपा नेताओं को गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है और किसान और मजदूर संगठन मिलकर भाजपा नेताओं को काले झंडे दिखाकर भारी विरोध कर रहे हैं। जहां ग्रामीण विरोध नहीं कर रहे तो वहां पर भाजपा नेताओं को सुनने के लिए ग्रामीण चौपाल में नहीं पहुंच रहे। गांव राजपुरा के ग्रामीणों का कहना है कि सोमवार को जब भाजपा प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला गांव राजपुरा की चौपाल में जनसभा करने के लिए आए तो वहां पर उन्हें सुनने वाला चंद तीन लोगों के अलावा अन्कोय कोई भी ग्रामीण नहीं पहुंचा और के बाहर चबूतरे पर बैठे भाजपा प्रत्याशी का विरोध किया और ना ही भाजपा प्रत्याशी ने उनसे राम राम की।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और रणजीत चौटाला पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. इसके बाद यह आंकड़ा बीजेपी के पास 46 का रह गया था. वहीं तीन निर्दलीय विधायकों में भी अपना समर्थन वापस ले लिया है. उनमें चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान ,नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर और पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन शामिल हैं. सरकार के पास इस वक्त 43 विधायकों का समर्थन रह गया है.
वर्तमान परिस्थितियों में विधानसभा के सदस्यों की संख्या 88 है. वहीं सरकार के पास अभी 43 विधायकों का समर्थन है. यानी सरकार अल्पमत में है. हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के पास 30 विधायक, जननायक जनता पार्टी के 10 विधायक हैं. बीजेपी के 40 विधायक हैं. जबकि निर्दलीयों की संख्या 7 से 6 हो चुकी है क्योंकि रणजीत चौटाला इस्तीफा दे चुके हैं. एक इंडियन नेशनल लोक दल के विधायक अभय चौटाला है.
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