Cervical cancer is increasing in young girls, know how to prevent cervical cancer
यंग लड़कियों के लिए बड़ा खतरा बन रहा सर्वाइकल कैंसर, बचाव में एचपीवी वैक्सीन का रोल काफी अहम*
हरियाणा न्यूज हिसार : भारत पर सर्वाइकल कैंसर का बोझ तेजी से बढ़ रहा है. देश में महिलाओं के बीच होने वाला ये दूसरा सबसे आम कैंसर है. दुनिया के स्तर पर देखा जाए तो कुल मामलों का पांचवा हिस्सा भारत से आता है जिसके कारण मौतों की संख्या भी अधिक है. एक स्टडी के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर से दुनियाभर में होने वाले 40 फीसदी मौतों में 23 फीसदी मौतें भारत से होती हैं. भारत में हर 8 मिनट में सर्वाइकल कैंसर से एक महिला की मौत होती है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि 70 फीसदी मामलों में रोग का डायग्नोज एडवांस स्टेज में होता है जिसके कारण ज्यादा मौतें होती हैं.
सर्वाइकल कैंसर होने का सबसे बड़ा कारण ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) जैसे हाई रिस्क इंफेक्शन के कारण होता है. ये इंफेक्शन कई कारणों से होता है जैसे कम उम्र में सेक्सुअल रिलेशन बनाना, एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर, कई बार प्रेग्नेंट होना और इंटरकोर्स के दौरान इंफेक्शन का ट्रांसफर. भारत में 80 फीसदी से ज्यादा सर्वाइकल कैंसर केस और 63 फीसदी हाई ग्रेड प्रेमालिगनेंट जख्म एचपीवी टाइप 16 और 18 से जुड़े होते हैं जो ग्लोबल एवरेज से ज्यादा है. हालांकि, एक अच्छी चीज ये है कि एचपीवी वैक्सीन से एचपीवी और सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है.
फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम में गायनेकोलॉजी ऑन्कोलॉजी एंड रोबोटिक सर्जरी विभाग की हेड व डायरेक्टर, गायनी ऑन्को सर्जन, रोबोटिक सर्जन डॉक्टर रमा जोशी ने बताया*, ”एचपीवी टीका लगवाने से इंफेक्शन होने से बचाव मिलता है और ये एचपीवी को फैलने से रोकता है. वायरस की चपेट में आने से पहले की स्थिति में अगल टीका लगा हो तो ये सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामलों में बचाव करता है. साथ ही अगर एचपीवी से वजाइना, वुल्वा, पेनिस, एनस या अन्य जगह इंफेक्शन होता है तो उससे भी ये टीका रक्षा करता है. सर्वाइकल कैंसर के मामले में पैप टेस्ट काफी अहम है. ये एक बहुत ही सिंपल टेस्ट होता है जिसमें सर्वाइकल की सतह को वाइप करके स्वैब से सैंपल लेकर माइक्रोस्कोप से कोशिकाओं का टेस्ट किया जाता है. पैप टेस्ट के जरिए बीमारी का जल्दी डायग्नोज होने से प्री-कैंसरस और अर्ली कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है. प्री-कैंसरस स्थिति में इलाज से सर्वाइकल कैंसर के बढ़ने के चांस काफी कम हो जाते हैं. 9-14 साल की लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन के दो टीके लगने चाहिए. दोनों टीकों में कम से कम 6 महीने का अंतर होना चाहिए. वैक्सीन के अच्छे असर के लिए जरूरी है कि लड़की के सेक्सुअली एक्टिव होने से पहले टीका लगवाया जाए. इस तरह के एहतियाती कदम उठाकर एचपीवी इंफेक्शन, सर्वाइकल कैंसर और एचपीवी से संबंधित कैंसर से बचाव किया जा सकता है.
डॉक्टर रमा जोशी ने आगे कहा कि ”सर्वाइकल कैंसर के इलाज में अर्ली डायग्नोज और प्रॉपर ट्रीटमेंट काफी अहम रोल निभाता है. ऐसे में महिलाओं को अगर किसी भी तरह के लक्षण महसूस हों तो वो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि कैंसर से होने से पहले आमतौर पर कोई खास संकेत नहीं पता चलता है. अगर किसी लड़की को पीरियड्स के बीच में गैर-जरूरी ब्लीडिंग हो रही हो, सेक्सुअल इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग हो या मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग हो तो उन्हें जरूर डॉक्टर को दिखाना चाहिए. इसके अलावा, अगर वजाइना से असामान्य या खून के कतरों के साथ डिस्चार्ज हो रहा हो तो इसे भी गंभीरता से लेना चाहिए. सर्वाइकल कैंसर जब एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है तो कमर में लगातार दर्द, पैरों और पेल्विस में दर्द महसूस होता है. ऐसे में इस तरह के तमाम बदलावों और लक्षणों के आने पर ध्यान दें और खुद को सर्वाइकल कैंसर से बचाएं.”
सर्वाइकल कैंसर होने में 10-15 साल का लंबा वक्त लग जाता है. यानी लक्षणों को पहचानकर प्री-कैंसरस फेज में ही इससे बचाव किया जा सकता है और बेहतर इलाज पाकर इसे हराया जा सकता है.
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